tag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post689792118549242522..comments2024-02-17T14:50:04.999+05:30Comments on तिरछी नज़र : शाश्वत प्रश्न गोपेश मोहन जैसवालhttp://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-65545390210983398692015-12-05T21:28:00.354+05:302015-12-05T21:28:00.354+05:30धन्यवाद सुशील बाबू. यह कविता दिल से लिखी गयी थी, द...धन्यवाद सुशील बाबू. यह कविता दिल से लिखी गयी थी, दिमाग का इस्तेमाल करने की इसमें ज़रुरत ही नहीं पड़ी थी. मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होने वाले और कुआँ खोदकर पानी पीने वाले, दोनों ही ऊपर वाले ने बनाये हैं पर उसने उनमें इतना फर्क क्यूँ किया है, यह आज तक मेरी समझ में नहीं आया है. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-30977839330085470252015-12-05T19:40:16.882+05:302015-12-05T19:40:16.882+05:30पापी पेट के पापी सवाल होते हैं :)
बहुत सुंदर अभिव...पापी पेट के पापी सवाल होते हैं :) <br />बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है खुदा भी खुश हो गया होगा ।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com