आज मोरारजी भाई का 120 वां जन्मदिन है. उन्हें सादर प्रणाम.
मूत्र-चिकित्सा के पक्षधर और भारत में 14 कैरेट के स्वर्णाभूषणों के जन्मदाता, भोजन में अन्न के त्यागी किन्तु दूध, मेवे तथा फलों के अनुरागी, मोरारजी भाई अपनी हठवादिता और गाँधीवादी
उसूलों (अपने बेटे कांति भाई के कारनामों की अनदेखी करने की कमज़ोरी को छोड़कर) के
लिए प्रसिद्द हैं. मोरारजी भाई जब वृहत्तर बम्बई प्रान्त के मुख्यमंत्री थे तो
उनके पास सरकारी कर्मचारी वाहन भत्ते की मांग लेकर गए. मोरारजी भाई ने उन्हें
टहलकर ऑफिस तक आने-जाने की सलाह दी. जब कर्मचारियों ने घर से ऑफिस की ज़्यादा दूरी
का हवाला दिया तो उन्होंने कहा -
'वाहन भत्ता तो आपको नहीं मिलेगा पर मैं
आप सबको सरकार की ओर से मुफ़्त साइकिल दिला सकता हूँ.'
1969 में राष्ट्रपति
के चुनाव में मतभेद के बाद मोरारजी भाई इंदिरा गाँधी के विरोधी खेमे का नेतृत्व कर
रहे थे.1971 के आम चुनाव से पहले मोरारजी भाई झाँसी के सर्किट हाउस में ठहरे थे जो कि
हमारे बुंदेलखंड कॉलेज के बहुत नज़दीक था. हम बी. ए. द्वितीय वर्ष के आधा दर्जन
छात्र उन्हें देखने सर्किट हाउस के गेट पर खड़े हो गए. हमको देखकर दो आदमी हमारी
तरफ़ लपके तो हम खिसकने लगे, पर यह क्या? उन दोनों ने प्यार से हमको रोका और फिर वो हमको लॉन में बैठे मोरारजी भाई से
मिलाने के लिए ले गए. 5 मिनट की इस
संक्षिप्त भेंट में मोरारजी भाई द्वारा विद्यार्थियों के नाम सन्देश का एक हर्फ़ भी
मुझको याद नहीं है पर यह याद है कि उनके साथ हमने समोसे, मिठाई और चाय का रसास्वादन किया था. यह बात और है कि मोरारजी भाई का नमक खाकर
भी हम कभी भी उनके सगे न हुए. वैसे नमक का हक़ अदा किये बिना (स्मृति ईरानी सहित)
देश के हर नेता-नेत्री से मैं ऐसी संक्षिप्त भेंट करने को तैयार हूँ.
वी सी ने खिलाये कभी समोसे?
जवाब देंहटाएंप्रोफ़ेसर एम. डी. उपाध्याय के अलावा किसी ने नहीं.
जवाब देंहटाएं