tag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post2352272874741298918..comments2024-02-17T14:50:04.999+05:30Comments on तिरछी नज़र : अधखाए बैल की सदगति गोपेश मोहन जैसवालhttp://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-70992659855591838152021-07-14T22:25:19.952+05:302021-07-14T22:25:19.952+05:30संगीता जी, भ्रष्टाचार का अंत तो हमारे नेता अपने हर...संगीता जी, भ्रष्टाचार का अंत तो हमारे नेता अपने हर भाषण में करते हैं.ये बात दूसरी है कि रक्तबीज की संतान होने के कारण इस भ्रष्टाचार का अगर गला काटो तो इसके रक्त की जितनी बूंदे ज़मीन पर गिरती हैं, उतने रक्तबीज रूपी भ्रष्टाचार फिर पैदा हो जाते हैं. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-17678266580590851412021-07-14T22:21:26.371+05:302021-07-14T22:21:26.371+05:30तारीफ़ के लिए शुक्रिया अनुराधा जी. तारीफ़ के लिए शुक्रिया अनुराधा जी. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-43027287024987951332021-07-14T22:20:47.546+05:302021-07-14T22:20:47.546+05:30प्रशंसा के लिए धन्यवाद अमृता तन्मय ! प्रशंसा के लिए धन्यवाद अमृता तन्मय ! गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-20099905825473259682021-07-14T20:23:10.210+05:302021-07-14T20:23:10.210+05:30भ्रष्टाचार का कहीं अंत नहीं ।भ्रष्टाचार का कहीं अंत नहीं ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-51705115295355803172021-07-14T18:54:15.416+05:302021-07-14T18:54:15.416+05:30 बहुत सुंदर और सटीक सृजन आदरणीय। बहुत सुंदर और सटीक सृजन आदरणीय।Anuradha chauhanhttps://www.blogger.com/profile/14209932935438089017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-60213014202035917462021-07-14T17:18:26.346+05:302021-07-14T17:18:26.346+05:30बहुत ही बढ़िया कहा ।बहुत ही बढ़िया कहा ।Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-62086260393787005642021-07-14T16:48:41.158+05:302021-07-14T16:48:41.158+05:30प्रशंसा के लिए धन्यवाद ज्योति कलश जी !
लालफ़ीताशाही...प्रशंसा के लिए धन्यवाद ज्योति कलश जी !<br />लालफ़ीताशाही और निकम्मी-नाकारा व्यवस्था की यह तीस साल पुरानी दास्तान अगर आज भी सामयिक है तो यह हमारा ही नहीं, देश का भी दुर्भाग्य है. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-92155376079799990172021-07-14T14:23:32.635+05:302021-07-14T14:23:32.635+05:30सामयिक , सटीक सृजन !सामयिक , सटीक सृजन !ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-31836186604169201082021-07-14T12:25:35.621+05:302021-07-14T12:25:35.621+05:30तारीफ़ के लिए शुक्रिया नूपुर जी ! वैसे बिलकुल सही क...तारीफ़ के लिए शुक्रिया नूपुर जी ! वैसे बिलकुल सही कहा आपने ! <br />आपकी बात में कबीर की - 'बुरा जो देखन मैं चल्या --' की भावना प्रतिबिंबित होती है लेकिन ज़िम्मेदारी के ओहदों पर बैठे महानुभावों की तमाम काहिली और बेपनाह जहालत के लिए हम कुसूरवार थोड़ी हो सकते हैं?<br />हमारे जैसे किसी चूहे को तो हिम्मत कर के चूहा-खोर बिल्ली के गले में खतरे की घंटी बांधनी ही पड़ेगी. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-54347214088275279192021-07-14T10:31:27.572+05:302021-07-14T10:31:27.572+05:30करारी मार ! व्यंग्य की धार !
मगर हम सब हैं ज़िम्मेद...करारी मार ! व्यंग्य की धार !<br />मगर हम सब हैं ज़िम्मेदार !<br /><br />पैनी कविता की चोट तब झिलेगी <br />जब सबको अपनी कमी दिखेगी.<br /><br />सादर अभिनन्दन.नूपुरं noopuramhttps://www.blogger.com/profile/18200891774467163134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-65939019793887997172021-07-14T05:56:56.196+05:302021-07-14T05:56:56.196+05:30तारीफ़ के लिए शुक्रिया दोस्त !
सभी सरकारी कुओं में...तारीफ़ के लिए शुक्रिया दोस्त ! <br />सभी सरकारी कुओं में ज़रा-ज़रा सी भांग क्या पड़ गयी, हम सब छिद्रान्वेषियों ने प्रजा-पालकों पर व्यंग्य रूपी तलवार चलाना शुरू कर दी. <br />ऐसी गुस्ताख़ियों के लिए हमको काले-पानी की सज़ा हो जाए तो कोई आश्चर्य मत करना ! गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-83747127184457259422021-07-13T23:19:21.361+05:302021-07-13T23:19:21.361+05:30व्यंग्य की पैनी धार अपनी स्वाभाविक लय में अद्भुत प...व्यंग्य की पैनी धार अपनी स्वाभाविक लय में अद्भुत प्रभाव उत्पन्न कर रही है।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-87396821600479348492021-07-13T21:52:43.116+05:302021-07-13T21:52:43.116+05:30मीना जी, हमारी लोकतान्त्रिक सरकार की कार्य-प्रणाली...मीना जी, हमारी लोकतान्त्रिक सरकार की कार्य-प्रणाली पर इतना संदेह?<br />अटल जी के शब्दों में मुझे कहना पड़ेगा - <br />'ये अच्छी बात नहीं है.'गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-81182026192801483472021-07-13T21:08:49.696+05:302021-07-13T21:08:49.696+05:30वो तो बैल था, अभी तो आदमी मर जाए सड़क पर, या उसके स...वो तो बैल था, अभी तो आदमी मर जाए सड़क पर, या उसके साथ दुर्घटना हो जाए तो उसे भी उठाने से पहले ना जाने कितनी ही औपचारिकताएँ कागजी कारवाई होती है।<br /> बस, चील कौओं के खाने से पहले उसे उठा लेते हैं, यही गनीमत है।Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-12468884312459538702021-07-13T19:34:25.174+05:302021-07-13T19:34:25.174+05:30प्रशंसा के लिए धन्यवाद ज्योति !
सरकारी कामकाज आज ...प्रशंसा के लिए धन्यवाद ज्योति ! <br />सरकारी कामकाज आज से नहीं, बल्कि आदिकाल से ऐसा ही होता आ रहा है. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-49147407613976105182021-07-13T19:05:40.159+05:302021-07-13T19:05:40.159+05:30आज के सरकारी कामकाज पर बहुत ही करारा व्यंग किया है...आज के सरकारी कामकाज पर बहुत ही करारा व्यंग किया है आपने, गोपेश भाई।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-20566715187873697692021-07-13T16:32:22.801+05:302021-07-13T16:32:22.801+05:30प्रशंसा के लिए धन्यवाद जिज्ञासा. तुमने कहा है - &#...प्रशंसा के लिए धन्यवाद जिज्ञासा. तुमने कहा है - 'कई वर्षों से ये सारा कुछ चल रहा है' तुम - 'कई वर्षों से ये सारा कुछ चल रहा है' को अगर - 'युगों-युगों से'ये सारा कुछ चल रहा है' कर दो तो बेहतर होगा.<br />गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-57439990692844107022021-07-13T15:42:33.580+05:302021-07-13T15:42:33.580+05:30युगों युगों से ये सारा कुछ चल रहा है,और खत्म होने ...युगों युगों से ये सारा कुछ चल रहा है,और खत्म होने के असर नहीं,व्यवस्था तंत्र पर करारा प्रहार करती अद्भुत,सटीक रचना 🙏💐जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-34317287162658238452021-07-13T13:24:05.625+05:302021-07-13T13:24:05.625+05:30नीचे लिखी "पौधे लगाएं धरा बचाएं" पंक्ति ...नीचे लिखी "पौधे लगाएं धरा बचाएं" पंक्ति पर क्लिक करें ये एक लिंक ही है।<br /><br /> <a href="https://natureliteratureandview.blogspot.com/2021/07/phyllanthus-buxifolius-indoor-plant.html" rel="nofollow">पौधे लगायें धरा बचाएं</a>Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-12751557081966950012021-07-13T12:51:18.881+05:302021-07-13T12:51:18.881+05:30'फूल हो तो कोमल हूँ, शूल हो तो प्रहार हूँ'...'फूल हो तो कोमल हूँ, शूल हो तो प्रहार हूँ' (चर्चा अंक - 4125) में मेरी व्यंग्य-कविता सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद अनीता ! गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-64731116535337438852021-07-13T12:49:41.164+05:302021-07-13T12:49:41.164+05:30प्रशंसा के लिए धन्यवाद रोहितास ! कविता तो मैं पिछल...प्रशंसा के लिए धन्यवाद रोहितास ! कविता तो मैं पिछले चालीस साल से भी अधिक समय से कर रहा हूँ. हाँ, कहानी-किस्से-आलेख आदि में मेरी अधिक अभिरुचि है. <br />तुमने अपनी रचना का लिंक नहीं भेजा. <br />गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-44711859662742198882021-07-13T12:42:30.802+05:302021-07-13T12:42:30.802+05:30जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल...जी नमस्ते ,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१४-०७-२०२१) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />'फूल हो तो कोमल हूँ शूल हो तो प्रहार हूँ'(चर्चा अंक-४१२५)</a> पर भी होगी।<br />आप भी सादर आमंत्रित है। <br />सादर <br />अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-23095330797339153132021-07-13T11:33:56.591+05:302021-07-13T11:33:56.591+05:30कविता की गंगा में भी हाथ साफ कर रहे हो जनाब।
वाह क...कविता की गंगा में भी हाथ साफ कर रहे हो जनाब।<br />वाह क्या बात है। एक किस्से को कविता में ढाल दिया। हर कोई अपनी जिम्मेदारियों से भागता है आजकल लेकिन प्रकृति नहीं भागती।<br />नई रचना <a href="https://natureliteratureandview.blogspot.com/2021/07/phyllanthus-buxifolius-indoor-plant.html" rel="nofollow">पौधे लगायें धरा बचाएं</a>Rohitas Ghorelahttps://www.blogger.com/profile/02550123629120698541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-9047112120276193752021-07-13T11:13:55.044+05:302021-07-13T11:13:55.044+05:30मित्र, सड़क पर आवारा घूमने वाले बैल ऐसे ज़रूर मरेंगे...मित्र, सड़क पर आवारा घूमने वाले बैल ऐसे ज़रूर मरेंगे लेकिन हम-तुम तो खेत वाले नहीं, कोल्हू के भी नहीं, बल्कि कलम के बैल हैं, इतनी आसानी से ह्म्क्को-तुमको कहाँ मुक्ति मिलेगी? गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-27670416252679876572021-07-13T10:48:06.316+05:302021-07-13T10:48:06.316+05:30अभी कई बैल मरेंगे आप कुछ लिखेंगे और हम भी कुछ लिखे...अभी कई बैल मरेंगे आप कुछ लिखेंगे और हम भी कुछ लिखेंगे। लिखते चलें। सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com