tag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post544469733110305399..comments2024-02-17T14:50:04.999+05:30Comments on तिरछी नज़र : गली-मोहल्ले कॉलेज और कस्बा-कस्बा विश्वविद्यालयगोपेश मोहन जैसवालhttp://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-17885227249703324202022-06-14T21:25:07.039+05:302022-06-14T21:25:07.039+05:30सुधा जी, शैक्षिक संस्थाओं में यह बदहाली सिर्फ़ पहाड़...सुधा जी, शैक्षिक संस्थाओं में यह बदहाली सिर्फ़ पहाड़ों में नहीं है. मैदानों में भी ऐसे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की कमी नहीं है जहाँ पर कि पढ़ाई के नाम पर सिर्फ़ खानापूरी होती है. <br />मैंने 1975 से ले कर 1980 तक लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवक्ता के पद पर कार्य किया था. वहां तब हम लॉ फैकल्टी के 90% विद्यार्थियों को खुलेआम नक़ल करते देखते थे और उनके खिलाफ़ कुछ भी नहीं कर पाते थे. <br />अधिकतर प्राइवेट कॉलेज तो हर जगह अंधेर नगरी संस्कृति का ही पोषण करते थे और आज भी वही करते हैं. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-2902108741240145172022-06-14T17:53:58.746+05:302022-06-14T17:53:58.746+05:30पहाड़ों पर स्कूल, इंटरकॉलेज या विश्व विद्यालय सब क...पहाड़ों पर स्कूल, इंटरकॉलेज या विश्व विद्यालय सब के हाल ऐसे ही हैं ।वहाँ के विद्यार्थी ही जानते हैं कि वे किस हाल में और कितनी पढाई कर पाये हैं...शिक्षकों के हालात आपकी पोस्ट बयां कर ही रही है...खासकर वे शिक्षक जो बाहर से हो।<br />Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-48884558685285325402022-06-14T13:44:00.500+05:302022-06-14T13:44:00.500+05:30ज्योति, ऐसे आधे-अधूरे कॉलेजों की और ऐसे लंगड़े-लूले...ज्योति, ऐसे आधे-अधूरे कॉलेजों की और ऐसे लंगड़े-लूले विश्वविद्यालयों की स्थापना मुझे न जाने क्यों बाल-विवाह की बेवकूफ़ाना प्रथा की याद दिलाती है. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-56695530692561414252022-06-14T13:40:39.545+05:302022-06-14T13:40:39.545+05:30हम-तुम, दोनों ही अल्मोड़ा विश्वविद्यालय को एक श्रेष...हम-तुम, दोनों ही अल्मोड़ा विश्वविद्यालय को एक श्रेष्ठ और साधन-संपन्न विश्वविद्यालय के रूप में देखना चाहते हैं. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-89308440340862680242022-06-14T10:39:48.393+05:302022-06-14T10:39:48.393+05:30जी आप की इन सब बातों से मैं असहमत कहां हूं? जी आप की इन सब बातों से मैं असहमत कहां हूं? सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-61577872676606907182022-06-14T10:28:40.615+05:302022-06-14T10:28:40.615+05:30काश, ऐसे विश्वविद्यालय न खुले तो ही अच्छा। बहुत सु...काश, ऐसे विश्वविद्यालय न खुले तो ही अच्छा। बहुत सुंदर संस्मरण।Jyoti Dehliwalhttps://www.blogger.com/profile/07529225013258741331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-67082622140787160202022-06-14T07:05:30.502+05:302022-06-14T07:05:30.502+05:30मित्र, टेल या दुम हिलाने वाले तो बहुत हैं, मैंने त...मित्र, टेल या दुम हिलाने वाले तो बहुत हैं, मैंने तो सीधे हेड पर चोट करने की हिम्मत की है.<br />हम-तुम एम० ए० या एमएस० सी० करने से पहले क्या लेक्चरर हो गए थे? फिर बिना ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किए कॉलेज या यूनिवर्सिटी खोलने की क्यों जल्दी हो?<br />इस विश्वविद्यालय में 95% अध्यापक बिना किसी बाधा के प्रोफ़ेसर हो गए लेकिन जैसवाल साहब रिजेक्ट हो गए. क्या तुम यह मानते हो कि मेरा रिजेक्शन सही था?<br />बीसियों लोग बिना B+ कैरियर के अंशकालिक प्रवक्ता बनाए गए और फिर परमानेंट भी कर दिए गए. क्या यह भी सही था?<br />मेरे 31 साल की नौकरी में मात्र 25 टीचर्स क्वार्टर्स बने क्या वह भी सही था?<br />ऐसा नहीं है कि और जगह धांधली नहीं होती. मैं ख़ुद लखनऊ विश्वविद्यालय में अंधेर का शिकार हो चुका हूँ.<br />संवाद होते रहने चाहिए लेकिन किसी भी बात को दिल पर लिए बिना हमको सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए.गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-33100140463031003532022-06-14T07:03:49.989+05:302022-06-14T07:03:49.989+05:30मेरे विचारों से सहमत होने के लिए धन्यवाद भारती जी....मेरे विचारों से सहमत होने के लिए धन्यवाद भारती जी. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-27484599332475928582022-06-14T07:03:00.963+05:302022-06-14T07:03:00.963+05:30कुसुम जी, मेरा जैसा चूहा बिल्ली के गले में घंटी बा...कुसुम जी, मेरा जैसा चूहा बिल्ली के गले में घंटी बाँध तो देता है पर फिर उसे इस दुस्साहस की बड़ी भरी क़ीमत चुकानी पड़ती है. शैक्षिक संस्थानों का पोल-खोल कार्यक्रम तो मेरे जैसे शिक्षक ही तो चला सकते हैं और इसके लिए अगर हमको विभीषण की उपाधि मिलती है तो वो भी हमें स्वीकार्य है. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-54310106708574047332022-06-13T21:17:17.832+05:302022-06-13T21:17:17.832+05:30यथार्थपूर्ण अभिव्यक्ति यथार्थपूर्ण अभिव्यक्ति Bharti Dashttps://www.blogger.com/profile/04896714022745650542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-77800191484276827702022-06-13T21:06:57.032+05:302022-06-13T21:06:57.032+05:30आये दिन नये विश्वविद्यालय का खुलना पढ़ने सुनने में...आये दिन नये विश्वविद्यालय का खुलना पढ़ने सुनने में प्रभावित करता है पर आज जब हकीकत सामने आई तो सचमुच आवाक हूँ<br />एक विकासशील देश में विद्या, लेक्चरर प्रोफेसर और साथ ही विद्यार्थियों की ऐसी दुर्गति विचारणीय तथ्य है।<br />बेबाक लेख यथार्थ पर।<br />सादर साधुवाद।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-37269793764842222512022-06-13T20:12:37.154+05:302022-06-13T20:12:37.154+05:30'एक लेखक की व्यथा' (चर्चा अंक - 4460) में ...'एक लेखक की व्यथा' (चर्चा अंक - 4460) में मेरे आलेख को सम्मिलित करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-43314325352262502422022-06-13T19:07:35.931+05:302022-06-13T19:07:35.931+05:30जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज...जी नमस्ते ,<br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार(१३-०६-२०२२ ) को <a href="https://charchamanch.blogspot.com/ " rel="nofollow"><br />'एक लेखक की व्यथा ' (चर्चा अंक-४४६०)</a> पर भी होगी।<br />आप भी सादर आमंत्रित है। <br />सादर <br />अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-26716089152662842422022-06-12T23:05:30.464+05:302022-06-12T23:05:30.464+05:30सिक्के के दोनो पहलू रखे जाने चाहिये। आप सिर्फ़ हेड ...सिक्के के दोनो पहलू रखे जाने चाहिये। आप सिर्फ़ हेड की बात कर रहे हैं। उससे मैं भी इत्तेफ़ाक रखता हूं। मैं हमेशा खुद भी इन बातों को कहता रहा हूं। पर थोडा सा पूंछ भी कह देतेछ्तओ अच्छा रहता। अब आप को अच्छा ०% भी नहीं महसूस होता हो तो हो सकता है हम ही गलतफ़हमी में जी रहे हों। ऐसे में आंखें खोलने के लिये आपको धन्यवाद तो बनता ही है। वैसे भी समझ के लिये कुछ किया नहीं जा सकता है सबकी अपनी अपनी अपने हिसाब की । फ़िर भी वार्तालाप तो किया ही जा सकता है। <br />सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-2220784147105838682022-06-12T22:01:39.903+05:302022-06-12T22:01:39.903+05:30पहले विश्वविद्यालय भवन, कुलपति निवास और कुलसचिव का...पहले विश्वविद्यालय भवन, कुलपति निवास और कुलसचिव कार्यालय बन जाता, फिर विश्वविद्यालय बनता. दो-चार साल इंतज़ार कर लेते तो क्या बुरा होता? मगर वोट लेने के लिए यह तो विधानसभा चुनाव से पहले करना ज़रूरी समझा गया था.<br />हमारे विश्वविद्यालय की उपलब्धियां हैं लेकिन स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने जैसा कुछ नहीं है. <br />आज भी इंटर में अच्छे अंक लाने वाले बहुत कम बच्चे हमारे विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए आते हैं. <br />मित्र, तुम तो अपनी बेबाक़ी के लिए मशहूर हो. अब ऐसा क्या हो गया कि तुमको मेरी बेबाक़ बातें इतनी चुभ रही हैं? गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-32187947682679304962022-06-12T18:00:42.703+05:302022-06-12T18:00:42.703+05:30१०० % कमियां? १% भी कुछ अच्छा नहीं। कुलपति आवास बन...१०० % कमियां? १% भी कुछ अच्छा नहीं। कुलपति आवास बनाया गया है। ४५ करोड से विश्वविद्यलय भवन भी बन रहा है। तब तक के लिये अतिथी गृह में कार्यालय बनाया गया है। प्रो डी डी पन्त प्रो वल्दिया जैसी विभूतियों ने यहीं काम किया था। नाक ए रेटिंग शायद कुछ खिला पिला कर ले ली गयी होगी :) सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-42961953282027233922022-06-12T15:48:25.221+05:302022-06-12T15:48:25.221+05:30संगीता जी, मुझ पर यह आरोप लगता रहा है कि मैंने जहा...संगीता जी, मुझ पर यह आरोप लगता रहा है कि मैंने जहाँ का नमक खाया है, मैं वहां की खुलेआम बुराई करता हूँ. लेकिन मैं इस मामले में कबीर का चेला हूँ. खरी-खरी कहना मेरा स्वभाव है. <br />मैंने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के बारे में जो भी लिखा है, वह बहुत छान कर लिखा है. हक़ीक़त इस से भी कहीं ज़्यादा तल्ख़ और बदसूरत है. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-17287478764350383082022-06-12T15:43:44.628+05:302022-06-12T15:43:44.628+05:30दोस्त, अपने घर की कमियां हमको बारीक़ी से दिखाई देती...दोस्त, अपने घर की कमियां हमको बारीक़ी से दिखाई देती हैं. कुमाऊँ विश्वविद्यालय और अल्मोड़ा परिसर (अब अल्मोड़ा विश्वविद्यालय), दोनों मेरे अपने हैं, इन्हीं ने मुझे रोटी दी थी और अब भी दे रहे हैं. <br />मेरी दिली ख्वाहिश है कि इनका स्तर सुधरे और इनमें पढ़ने वालों को और इनमें पढ़ाने वालों को वो सब सुविधाएँ प्राप्त हों जो कि एक स्तरीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को और उनके अध्यापकों को मिलती हैं. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-13425800394801919022022-06-12T14:36:29.724+05:302022-06-12T14:36:29.724+05:30सत्य से रु बी रु कराता संस्मरण ..... वाकई इस तरह क...सत्य से रु बी रु कराता संस्मरण ..... वाकई इस तरह के शिक्षा के संस्थान न ही खुलें तो बेहतर .... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-86834763429322940632022-06-12T14:15:21.098+05:302022-06-12T14:15:21.098+05:30फ़िर भी हम आप धन्य हैं कि नहीं। पेट भी पाल ले गये प...फ़िर भी हम आप धन्य हैं कि नहीं। पेट भी पाल ले गये परिवार भी और कुछ बचा भी ले गये इसी अल्लम गल्लम विश्वविद्यालय से हजूर है की नहीं ? पेंशन अलग से :) सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com