tag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post8357029706341209700..comments2024-02-17T14:50:04.999+05:30Comments on तिरछी नज़र : पुत्री के नाम पिता का पत्र गोपेश मोहन जैसवालhttp://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-5205187932065641842022-06-28T07:41:38.601+05:302022-06-28T07:41:38.601+05:30कविता जी, यह किताब प्रयोगधर्मिता की हदें पार कर गय...कविता जी, यह किताब प्रयोगधर्मिता की हदें पार कर गयी है इसलिए मेरे जैसे सामान्य बुद्धि के व्यक्ति के सर के ऊपर से निकल गयी है. लेखिका इसमें अपना ज्ञान भी बहुत बघारती हैं. साड़ियों की बात होगी तो उसकी सौ तरह की वैरायटीज़ का ज़िक्र होगा, दावत की बात होगी तो उसमें लगभग तीन सौ डिशेज़ का ब्यौरा होगा, इस उपन्यास में कौए बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. <br />लेकिन इस उपन्यास को पढ़ने की हिम्मत ज़रूर कीजिएगा. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-49628187824685342102022-06-27T12:18:33.047+05:302022-06-27T12:18:33.047+05:30बड़े चुटीले अंदाज में आपने पुस्तक के बारे में काफी...बड़े चुटीले अंदाज में आपने पुस्तक के बारे में काफी कुछ बता दिया। हम भी हिम्मत जुटा रहे हैं इसे पढ़ने की। kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-39420311113762718922022-06-26T11:45:18.139+05:302022-06-26T11:45:18.139+05:30मेरे पिताजी का निधन नवम्बर, 1993 में हो गया था लेक...मेरे पिताजी का निधन नवम्बर, 1993 में हो गया था लेकिन आज भी मेरी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत उन्हीं की है. <br />वैसे माँ के महिमामयी गुणगान के नीचे अक्सर पिता की शख्सियत दब जाती है. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-45339880187755399512022-06-25T21:34:19.348+05:302022-06-25T21:34:19.348+05:30सच कहा सर मेरे बापू सच में बहुत ही सीधे सरल स्वभाव...सच कहा सर मेरे बापू सच में बहुत ही सीधे सरल स्वभाव के व्यक्ति है ये कहूंगी की में उनसे ज्यादा कठोर हृदय रखती हूँ। आज तक मैंने कभी ऊँचे स्वर में उनकी आवाज़ नहीं सूनी। मेरा सौभाग्य मुझे उनका स्नेह सबसे ज्यादा मिला। मैं उन्हें मासूम समझती हूँ और वो मुझे...। बाक़ी घर वाले हम में उलझ कर रह जाते है। जब वह बीस वर्ष के भी नहीं थे तब मेरी दादी का देहांत हो गया फिर मैं हुई उनको मुझ में दादी की छवि दिखती हूँ।<br />हमारा रिश्ता बहुत अलग है। वह मुझे बहुत मानते है।<br />अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-4991726000262864182022-06-25T15:52:52.391+05:302022-06-25T15:52:52.391+05:30अनीता, सच कहूं तो इस पुस्तक में सब कुछ बुरा नहीं ह...अनीता, सच कहूं तो इस पुस्तक में सब कुछ बुरा नहीं है लेकिन हर बात को खींच-खींच कर और इतने अप्रत्यक्ष तरीक़े से प्रस्तुत किया गया है कि पाठक इसकी कहानी की तह तक जा ही नहीं पाता है. <br />मेरी बेटी का नाम गीता नहीं, बल्कि गीतिका है. <br />वैसे मैं तो अपनी बेटियों की सेहत के लिए कभी-कभी हानिकारक बापू भी हो जाता हूँ, तुम्हारे बापू तो असल में प्यारे बापू होंगे. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-59024928087507878812022-06-25T13:30:37.810+05:302022-06-25T13:30:37.810+05:30बहुत अच्छा लगा सर, आपकी समीक्षा बहुत कुछ सिखाती है...बहुत अच्छा लगा सर, आपकी समीक्षा बहुत कुछ सिखाती है। बहुत अच्छा लगा हम आपसे जुड़े हैं यही उम्मीद हम भी रखते हैं।<br />ऐसी समीक्षा ही बेहतर करने की प्रेणा देती हैं।<br />आपका गीता जी का स्नेह देख मुझे भी बापू की याद आती है।<br />सादर प्रणाम अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-57918211103180895652022-06-25T13:00:52.924+05:302022-06-25T13:00:52.924+05:30कविता जी, गीतिका के लिए दुबई में अपने लिए यह किताब...कविता जी, गीतिका के लिए दुबई में अपने लिए यह किताब मंगाना कठिन था. <br />वह हिंदी की बहुचर्चित रचनाएँ मेरे लिए ऑन लाइन जब-तब ऑर्डर करती रहती है. <br />मेरी दोनों बेटियों की हिंदी पर पकड़ अच्छी है पर उनकी रूचि अंग्रेज़ी साहित्य में अधिक है. <br />नीम-करेले का जूस पिला कर गीतिका का स्वागत करने वाली बात तो मैंने मज़ाक़ में लिखी थी और इस पुस्तक के निंदा-पुराण के बाद उसे वापस करने से क्या होगा? <br />इस से तो अच्छा होगा कि मैं किसी और से यह दुश्मनी निभाऊं. <br />वैसे मेरे पहले गुरु मेरे बड़े भाई साहब श्री कमल कान्त जैसवाल का कहना है कि हम पुरानी पीढ़ी के लोग साहित्य की नई विधा में लिखी इस पुस्तक को पूरी तरह समझ नहीं पा रहे हैं इसलिए उसकी कटु आलोचना कर रहे हैं. <br />अब यह पुस्तक मैं उन्हें ही पढ़ने को दूंगा. देखें उनकी इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-59342618968786458132022-06-25T10:55:22.223+05:302022-06-25T10:55:22.223+05:30गीतिका जी ने शायद पुस्तक पढ़नी की जहमत नहीं उठाई हो...गीतिका जी ने शायद पुस्तक पढ़नी की जहमत नहीं उठाई होगी क्योंकि वह जानती थी यह काम उससे नहीं होगा और फिर यह आम पुस्तक आम के लिए नहीं ख़ास के लिए लिखी होगी, यही सोच भेज तो पिता को कि आप खुश होंगे, लेकिन आप तो उसके घर लौटने पर उसे ही नीम-करेले का जूस और -'रेत समाधि' को वापस करके दिल दुःखाने वाली बात कह रहे हैं। सोचो इसमें उस उस बेचारी का क्या कसूर?कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-84763267983182999222022-06-25T10:10:45.585+05:302022-06-25T10:10:45.585+05:30प्रशंसा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार सिंह 'व...प्रशंसा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार सिंह 'विवेक' जी. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-64927230127518264602022-06-25T09:59:03.050+05:302022-06-25T09:59:03.050+05:30वाह वाह वाह!सुंदर अभिव्यक्ति वाह वाह वाह!सुंदर अभिव्यक्ति Onkar Singh 'Vivek'https://www.blogger.com/profile/05041542014046576064noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-30642033911418780472022-06-24T12:52:12.553+05:302022-06-24T12:52:12.553+05:30'गुटबन्दी के मन्त्र' (चर्चा अंक - 4471) मे...'गुटबन्दी के मन्त्र' (चर्चा अंक - 4471) में मेरी व्यंग्य-रचना को सम्मिलित करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ! गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-33014619012032153992022-06-23T16:28:56.163+05:302022-06-23T16:28:56.163+05:30मीना जी, अम्मा जी उठ कर सितम ढाएंगी. आगे की कहानी ...मीना जी, अम्मा जी उठ कर सितम ढाएंगी. आगे की कहानी मैं नहीं बताऊँगा लेकिन इतना बता देता हूँ कि इस महा-प्रयोगवादी उपन्यास को पूरा पढ़ कर आप ख़ुद को थोड़ा ठगा हुआ ही महसूस करेंगी. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-84563666318695451952022-06-23T15:45:12.464+05:302022-06-23T15:45:12.464+05:30अम्मा जी को उठाने के प्रयास जारी हैं वहीं तक पहुँच...अम्मा जी को उठाने के प्रयास जारी हैं वहीं तक पहुँची हूँ । सोचा आगे का कथानक रफ़्तार पकड़ेगा जब वे उठेंगी । आपकी समीक्षा ने मेरी पढ़ने की रफ़्तार पर ब्रेक लगा दिए हैं ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-61246405511229818062022-06-23T11:35:58.925+05:302022-06-23T11:35:58.925+05:30जिज्ञासा, इस किताब को तुम्हें इसलिए पढ़ना चाहिए ताक...जिज्ञासा, इस किताब को तुम्हें इसलिए पढ़ना चाहिए ताकि तुम यह समझ सको कि अपने शब्द-जाल में पाठकों को कैसे गोल-गोल घुमाया जा सकता है.<br />गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-53585700989130578522022-06-23T11:31:01.037+05:302022-06-23T11:31:01.037+05:30गीतिका को जरूर ये बात समझ आई होगी कि आप इस उपन्यास...गीतिका को जरूर ये बात समझ आई होगी कि आप इस उपन्यास की जड़ तक जाएंगे और हमें बताएंगे कि हम जैसे, जो ज्यादा पढ़ाकू भी नहीं। <br />बुकर प्राइज विजेता पुस्तक पढ़ने की जिज्ञासा जगी तो कल बेटे से कह ऑर्डर करवाई आज आपकी ये डरावनी समीक्षात्मक टिप्पणी हौसला पस्त कर रही है। कुछ हम जैसे लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए भी लिखें जो प्रेरक हो 👏😀जिज्ञासा सिंह https://www.blogger.com/profile/06905951423948544597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-78894941022619906252022-06-23T11:25:07.364+05:302022-06-23T11:25:07.364+05:30अनिता जी, ख़ूब क्या, यह बोरियत की इंतिहा हो गयी. अनिता जी, ख़ूब क्या, यह बोरियत की इंतिहा हो गयी. गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8575841685823174322.post-33129378535953686832022-06-23T10:35:04.495+05:302022-06-23T10:35:04.495+05:30यह भी खूब रही यह भी खूब रही Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com