मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015

जिन्हें नाज़ है हिन्द पर, वो कहाँ हैं?

साहिर लुधियानवी से क्षमा याचना के साथ
जिन्हें नाज़ है, हिन्द पर, वो कहाँ हैं?

अयोध्या में, या दादरी में कहाँ हैं?
मुज़फ्फरनगर, गोधरा में कहाँ हैं?
जहाँ पर बहे खून-ए-दरिया, वहां हैं?
या छब्बिस नवम्बर सा मंज़र जहाँ है?
वो उस सल्तनत में, शायद मिलेंगे,
जहाँ कोई दाऊद, शाहे-जहाँ हैं.
सबर के क्या बाकी, अभी इम्तिहाँ हैं?
हमारे तो बर्बाद, दोनों जहाँ हैं.
हमारे तो बर्बाद, दोनों जहाँ हैं.
जिन्हें नाज़ है, हिन्द पर, वो कहाँ हैं -----

(दोनों जहाँ – इहलोक और परलोक)      

4 टिप्‍पणियां:

  1. जिन्हें नाज है हिंद पर
    चप्पे चप्पे पर यहाँ है
    बाकी कुछ लोग बेकार
    के हम जैसे भी यहाँ हैं
    वो नोट हैं हजार हजार के
    कुछ फुटकर हैं कुछ जमा हैं ।

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  2. नहीं उसको मालूम कितने जमा हैं, कहाँ पे, औ किस नाम पर वो जमा हैं.
    वतन बेचने की तिजारत जो करता, हमारा-तुम्हारा वही रहनुमा है.

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  3. बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति ,कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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  4. प्रिय मदन मोहन सक्सेनाजी, प्रशंसा के लिए धन्यवाद. आप जहाँ औपचारिक रूप से बुलाएँगे, हम अपनी रचनाओं के साथ हाज़िर हो जायेंगे. आपकी रचनाएँ पढ़ीं, अच्छी लगीं पर उन पर टिप्पणी करने का स्थान मुझे नहीं दिखाई दिया. ब्लॉग संस्कृति में मैं नितांत अध-कचरा हूँ. मेरा ब्लॉग भी मेरी बेटी के सौजन्य से ही प्रारंभ हुआ है.

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