शुभाशीर्वाद -
अपने व्यंग्य-वाण के लिए प्रसिद्द, स्वर्गीय प्रतापनारायण मिश्र के आशीर्वचन याद आ गए और एक किस्सा भी -
एक पंडितजी रास्ते में जा रहे थे, उनके पीछे-पीछे शरारती लड़कों की एक टोली चल रही थी जिसमें से कोई न कोई उनके सर पर पीछे से चपत लगाता जा रहा था या उनकी चुटिया खींच रहा था. बेचारे पंडित जी फिर भी चुपचाप चले जा रहे थे. फिर अचानक वो लड़के उनके सामने आकर बोले -
'पंडित जी, पंडित जी, देओ असीस.'
पंडित जी ने तुरंत आशीर्वाद दिया -
'खुसी रहो जजमान, हिये की दोनों फूटें,
घुटनों के बल गिरो, दांत बत्तीसों टूटें.'
हमको पीछे से चपतियाने वाले, हमारी पीठ में छुरा घोंपने वाले और फिर हमारे सामने आकर हमसे वोट मांगने वाले सभी प्रत्याशियों को हमारा ऐसा ही आशीर्वाद.
अपने व्यंग्य-वाण के लिए प्रसिद्द, स्वर्गीय प्रतापनारायण मिश्र के आशीर्वचन याद आ गए और एक किस्सा भी -
एक पंडितजी रास्ते में जा रहे थे, उनके पीछे-पीछे शरारती लड़कों की एक टोली चल रही थी जिसमें से कोई न कोई उनके सर पर पीछे से चपत लगाता जा रहा था या उनकी चुटिया खींच रहा था. बेचारे पंडित जी फिर भी चुपचाप चले जा रहे थे. फिर अचानक वो लड़के उनके सामने आकर बोले -
'पंडित जी, पंडित जी, देओ असीस.'
पंडित जी ने तुरंत आशीर्वाद दिया -
'खुसी रहो जजमान, हिये की दोनों फूटें,
घुटनों के बल गिरो, दांत बत्तीसों टूटें.'
हमको पीछे से चपतियाने वाले, हमारी पीठ में छुरा घोंपने वाले और फिर हमारे सामने आकर हमसे वोट मांगने वाले सभी प्रत्याशियों को हमारा ऐसा ही आशीर्वाद.
हा हा बहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंतारीफ़ करने के लिए धन्यवाद सुशील बाबू. तुम अगर इन देश दुबाऊ नेताओं की हरक़तें नहीं रोकोगे तो हम ऐसे ही लिखते रहेंगे.
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 14 फरवरी 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यशोदा अग्रवाल जी, आप सबका प्रोत्साहन मुझे लिखने के लिए प्रेरित करता रहता है. 'हलचल' को पढ़े बिना तो हमारे जीवन में चल-पहल ही नहीं होती है.
हटाएंबहुत बढ़िया। आनंद आ गया।
जवाब देंहटाएंआपको इन पंक्तियों को पढ़कर आनंद आया, उसके लिए धन्यवाद रश्मि जी. बस यह दुआ कीजिए कि हमारे आशीर्वाद के बाद इन धोखेबाज़ नेताओं को कभी भी और कैसा भी, मज़ा न आए.
हटाएंचुनावी माहौल में तीखा कटाक्ष लेकर हाज़िर है व्यंग.
जवाब देंहटाएंचुनावी माहौल में तीखा कटाक्ष लेकर हाज़िर है व्यंग.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रवीन्द्र सिंह यादव जी. चुनाव के माहौल में हम मतदाता हीरो होते हैं और बाक़ी वक़्त में ज़ीरो. हमारा आशीर्वाद यदि फलीभूत हो गया तो हम तो जैसे थे, वैसे ही रहेंगे पर ये दगाबाज़ नेता हमेशा-हमेशा के लिए ज़ीरो हो जाएंगे.
हटाएं