गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

वैलेंटाइन डे के आर्थिक दुष्परिणाम

वैलेंटाइन डे के आर्थिक दुष्परिणाम -

'किस लुत्फ़ से झुंझला के वो, कहते हैं शबे-वस्ल,
ज़ालिम ! तेरी आँखों से, गयी नींद कहाँ आज?'
मेरी तरफ़ से एक संशोधित सवाल -

'किस लुत्फ़ से झुंझला के, वो कहते हैं शबे-वस्ल,
कोरी है पासबुक तेरी, बीमा भी नहीं है?'
और
'उस से मिलने की ख़ुशी, बाद में दुख देती है,
जश्न के बाद का, सन्नाटा बहुत खलता है।' (मुईन शादाब)

इस शेर का संशोधित रूप -
'उस से मिलने की खुशी, बाद में दुःख देती है,
चैक बाउंस हुआ, बैंक खबर देती है.'
आखिर में

'ये इश्क़ नहीं आसां, बस इतना समझ लीजे,
इक आग का दरिया है, और डूब के जाना है.'

जिगर साहब के शेर का संशोधित संस्करण -
'ये इश्क़ नहीं आसां, बस इतना समझ लीजे,
खुद बिक भी गए तो भी, किश्तों को चुकाना है.'

14 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद शिवम् मिश्रा जी. 'ब्लॉग बुलेटिन'के माध्यम से आप लोगों का स्नेह मिलता रहे, यही कामना है.

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  2. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    विशेष : आज 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच ऐसे एक व्यक्तित्व से आपका परिचय करवाने जा रहा है। जो एक साहित्यिक पत्रिका 'साहित्य सुधा' के संपादक व स्वयं भी एक सशक्त लेखक के रूप में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं। वर्तमान में अपनी पत्रिका 'साहित्य सुधा' के माध्यम से नवोदित लेखकों को एक उचित मंच प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य"

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    1. धन्यवाद ध्रुव सिंह जी. 'लोकतंत्र संवाद' के माध्यम से सुधी पाठकगण तक पहुंचना मेरे साहित्य-सृजन को और अधिक ऊर्जा देता है.

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  3. उत्तर
    1. धन्यवाद मीना जी. आपकी टिप्पणी दो शब्दों से तो बड़ी ही होनी चाहिए.

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  4. उत्तर
    1. धन्यवाद टीम बुक बज़ूका. आपको मेरी रचनाएँ अच्छी लगें तो उन्हें अपनी ओर से प्रकाशित करने के लिए मुझसे संपर्क कीजिए. मेरा मोबाइल नंबर है -8527590642

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  5. हा हा हा हा हा हा हा ----लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीय ।

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद राजेश कुमार राय जी. आपसे बस एक प्रश्न है - मेरे यहाँ चोरी हुई है और आंसू बहाने के बजाय आप हंस रहे हैं?

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