1.
धूप तो धूप है फिर इसकी शिकायत कैसी
अबकी बरसात
में कुछ पेड़ लगाना साहब
निदा फ़ाज़ली
एक नेक सलाह –
सांप तो सांप
हैं डसने की शिकायत कैसी
आस्तीनों में
उन्हें फिर न पालना साहब
नक़्शा ले कर
हाथ में बच्चा है हैरान
कैसे दीमक खा
गई उस का हिन्दोस्तान
निदा फ़ाज़ली
सबसे बड़ी दीमक
-
घर कागज़ लकड़ी
तलक दीमक का नुक्सान
नेताजी का बस
चले खाएं सकल जहान
3. 3.
धूधूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या
है किताबों को हटा कर देखो
फ़ासला नज़रों
का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न
मिले हाथ बढ़ा कर देखो
निदा फ़ाज़ली
धोका देने
वालों की कभी हार नहीं होती –
फ़ासला कुर्सी
का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या न
मिले दल को बदल कर देखो
हर विभीषण को
नहीं मिलता है लंका का राज
भाई के घर में
मगर सेंध लगा कर देखो
वाकई निदा फाजली निहाल हो गए होंगे। आपकी लाजवाब शैली का कोई सानी नहीं।
जवाब देंहटाएंज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया दोस्त !
हटाएंअगर निदा फ़ाज़ली मेरे रास्ते पर चलते तो तुम तसव्वुर भी नहीं कर सकते कि वो आज के मुकाबले कितने ज़्यादा मकबूल शायर होते.
वाह
जवाब देंहटाएं'वाह' के लिए शुक्रिया दोस्त !
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शनिवार(०९-०७ -२०२२ ) को "ग़ज़ल लिखने के सलीके" (चर्चा-अंक-४४८५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
'ग़ज़ल लिखने के तरीक़े' (चर्चा अंक - 9-7-2022) में मेरी व्यंग्य-रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद अनीता.
हटाएंनमस्कार सर।
जवाब देंहटाएंकल आपके ब्लॉग पर मैं आयी थी प्रतिक्रिया नहीं दिख रही।
सादर
अनीता, मेरी रचना को चर्चा अंक के 9-7-22 के अंक में सम्मिलित करने के लिए मैंने तुम्हें धन्यवाद तो दिया है.
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