'हम कौन थे, क्या हो गए,
और क्या होंगे अभी,
आओ विचारें, बैठ कर के,
ये समस्याएं सभी.
(राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त)
और क्या होंगे अभी,
आओ विचारें, बैठ कर के,
ये समस्याएं सभी.
(राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त)
राष्ट्रकवि से क्षमा-याचना के साथ -
हम चोर थे, डाकू हुए,
फिर हो गए, नेता सभी,
निज देश को, हम लूटना,
क्या भूल सकते हैं कभी?
जन-जन की प्रार्थना -
अवतार ले के भगवन,
इस देश को बचा ले,
चील और गिद्ध जैसे,
नेता सभी, उठा ले.
हम चोर थे, डाकू हुए,
फिर हो गए, नेता सभी,
निज देश को, हम लूटना,
क्या भूल सकते हैं कभी?
जन-जन की प्रार्थना -
अवतार ले के भगवन,
इस देश को बचा ले,
चील और गिद्ध जैसे,
नेता सभी, उठा ले.
क्या बात है बहुत बढ़िया जी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील बाबू.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ! सत्य का अनावरण करती
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ध्रुव सिंह जी. काश कि इन नेताओं के विषय में मेरी बात सच न होती.
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