'वह तोड़ती पत्थर,
इलाहाबाद के पथ पर'
निराला जी की कविता पढ़कर क्या नेहरु जी ने कभी यह कहा था? -
'देखिए, हमने लाखों बेरोज़गार औरतों को पत्थर तोड़ने का काम दिलवा दिया है.'
वैसे बेरोज़गारी की समस्या हमारे देश में कभी रही ही नहीं है. जो महिला नेहरु जी के ज़माने में पत्थर तोड़ती थी, आज उसका पर-पोता पकौड़े बेच रहा है.
इलाहाबाद के पथ पर'
निराला जी की कविता पढ़कर क्या नेहरु जी ने कभी यह कहा था? -
'देखिए, हमने लाखों बेरोज़गार औरतों को पत्थर तोड़ने का काम दिलवा दिया है.'
वैसे बेरोज़गारी की समस्या हमारे देश में कभी रही ही नहीं है. जो महिला नेहरु जी के ज़माने में पत्थर तोड़ती थी, आज उसका पर-पोता पकौड़े बेच रहा है.
प्रशंसा के लिए धन्यवाद बेरोज़गार लेखक जी. इस बात का स्पष्टीकरण दीजिए कि आपने रोज़गार के रूप में पकौड़ा व्यवसाय को अपनाकर खुद को रोज़गार-प्राप्त लेखक क्यों नहीं बनाया.
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