सीता जी को माता अनसूया का उपदेश -
धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी,
आपद काल, परिखि अहिं चारी.
छल, प्रपंच, चोरी, मक्कारी,
सफल सियासत के गुण, चारी.
चोर, दस्यु, तस्कर, व्यभिचारी,
ये चुनाव में, सब पर भारी.
हमारे ऐसे विद्यादान की निरर्थकता -
हम से पढ़, पंडित भया,
बेघर, निर्धन होय,
बिश्नोई लॉरेन्स का,
चेला सुख से सोय.
वाह
जवाब देंहटाएं'वाह' के लिए धन्यवाद मित्र.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शनिवार 26 अक्टूबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएं'पांच लिंकों के आनंद' में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद दिग्विजय अग्रवाल जी.
हटाएंवाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंमेरी कलम के उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद शुभा जी.
हटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंतारीफ़ के लिए शुक्रिया हरीश कुमार जी.
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