तेरे गुनाह पे, पर्दा-ए-झूठ, डाल तो दूं,
मुझे इन्साफ़ की देवी का खौफ़, रोके है.
मैं एक पल में तुझे, बेक़सूर ठहरा दूं,
किसी मासूम की बेजान आँख, रोके है.
और फुटपाथ पे, कुचले हुए मज़लूमों के,
बीबी-बच्चों के दिल की आह, मुझे रोके है.
मुझे पता है कि सोने में तौल देगा मुझे,
मगर ज़मीर की फटकार, मुझको रोके है.