रविवार, 8 अप्रैल 2018

वकील-ए-सफ़ाई बनने से इंकार –



तेरे गुनाह पे, पर्दा-ए-झूठ, डाल तो दूं,
मुझे इन्साफ़ की देवी का खौफ़, रोके है.
मैं एक पल में तुझे, बेक़सूर ठहरा दूं,
किसी मासूम की बेजान आँख, रोके है.
और फुटपाथ पे, कुचले हुए मज़लूमों के,
बीबी-बच्चों के दिल की आह, मुझे रोके है.
मुझे पता है कि सोने में तौल देगा मुझे,
मगर ज़मीर की फटकार, मुझको रोके है.

सोमवार, 2 अप्रैल 2018

चंद गुस्ताखियाँ


दुष्यंत कुमार से क्षमा याचना के साथ –
घर का भेदी कुर्सी पाए -
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना, मेरा मक्सद नहीं,
मेरी कोशिश है, तेरी, कुर्सी भी मिलनी चाहिए.
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मिर्ज़ा ग़ालिब से क्षमा याचना के साथ -
जूतियों का नया शो-रूम -
पोल खुलते, साख सारी, रद्दियों में तुल गयी,
जूतियाँ उन पर पडीं, इतनी, दुकानें खुल गईं.
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राष्ट्र कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त से क्षमायाचना के साथ –
हम चोर थे, डाकू हुए,
फिर हो गए, नेता सभी,
निज देश को, हम लूटना,
क्या भूल सकते हैं कभी?
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मेरी अपनी बात -
राम तेरे राज में -
भूखे-नंगो के भी दिन, अब बड़े अच्छे होंगे 
खाने को भीगे चने, जिस्म पे कच्छे होंगे