सीता जी को माता अनसूया का उपदेश -
धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी,
आपद काल, परिखि अहिं चारी.
छल, प्रपंच, चोरी, मक्कारी,
सफल सियासत के गुण, चारी.
चोर, दस्यु, तस्कर, व्यभिचारी,
ये चुनाव में, सब पर भारी.
हमारे ऐसे विद्यादान की निरर्थकता -
हम से पढ़, पंडित भया,
बेघर, निर्धन होय,
बिश्नोई लॉरेन्स का,
चेला सुख से सोय.