अरे मृतक की बेवा तुझको, इस अवसर पर लाख बधाई !
अखबारों में चित्र छपेंगे, पत्रों से घर भर जाएगा ,
मन्त्री स्वयम् सांत्वना देने, आज तिहारे घर आएगा ।
सरकारी उपहार मिलेंगे, भाग्य कमल भी खिल जाएगा,
पिता गए हैं स्वर्ग जानकर, पुत्र गर्व से मुस्काएगा ।।
विधवा ! रोती इसीलिए क्या, तेरी माँग उजड़ जाएगी ?
जल्दी ही सूने माथे की, तुझको आदत पड़ जाएगी ।
यह उदार सरकार, दया के बादल तुझ पर बरसाएगी ,
थैली भर रूपयों के बदले तेरी बिंदिया ले जाएगी ।।
छाती पीट रही क्यों पगली, अभी कर्ज़ यम के बाकी हैं,
यहाँ मौत का जाम पिलाने पर आमादा, सब साक़ी हैं ।
बकरों की माँ खैर नहीं है, यहाँ भेडि़ए छुपे हुए हैं,
कुछ ख़ूनी जामा पहने हैं, पर कुछ के कपड़े खाकी हैं ।।
मृत्यु सभी की अटल सत्य है, फिर क्यों छलनी तेरा सीना ?
बाट जोहने की पीड़ा से मुक्ति मिली, क्यों आँसू पीना ?
बच्चों की किलकारी का कोलाहल भी अब कष्ट न देगा ,
शांत, सुखद, शमशान-महीषी, बन, आजीवन सुख से जीना ।।
अरे मृतक की बेवा तुझको, इस अवसर पर लाख बधाई,
आम सुहागन से तू, बेवा ख़ास हुई है, तुझे बधाई ।।
Copyright © 2013
Brilliant stuff. Please write more!
जवाब देंहटाएंThanks for the compliment. I will post a few more of my poems soon.
हटाएंबहुत ही सुंदर !
जवाब देंहटाएंलिखे जाओ!