हाइकू की रचना करने में मेरी गति नहीं है फिर भी औरों की देखा-देखी मैंने इस क्षेत्र में कुछ गुस्ताखिया की हैं.
अब ये अच्छी हैं या बुरी हैं, यह तो आप ही तय कीजिए -
दुनिया फ़ानी
फिर भी मोह माया
जाग अज्ञानी
राम भरत
गद्दी पर विवाद
कोर्ट पहुंचे
संसद सत्र
हंगामा था बरपा
थोड़ी सी ही पी
मुफ़्त राशन
चुनाव से पहले
फिर वसूली
लम्बा भाषण
सुन के कान पके
जनता सोई
वाह क्या बात है
जवाब देंहटाएंहौसलाअफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया दोस्त !
हटाएंबेहतरीन प्रयास आदरणीय सर । चिंतनपूर्ण आगाज, राजनीति पर समापन,😀😀🙏🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जिज्ञासा. अमूमन लोगबाग वैराग्य पर समापन करते हैं पर मेरी रचनाएँ तो आमतौर पर राजनीति के दलदल में धंसे हुओं को ही समर्पित होती हैं, इसलिए समापन भी नेता जी की लीला दर्शाते एक हाइकू से किया है.
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(३०-०८-२०२१) को
'जन्मे कन्हैया'(चर्चा अंक- ४१७२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
'जन्मे कन्हैया' (चर्चा अंक - 4172) में मेरे हाइकू सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद अनीता !
हटाएंबहुत ही सुंदर हायकू।
जवाब देंहटाएंमेरे हाइकू की प्रशंसा करने के लिए धन्यवाद ज्योति !
हटाएंसंसद सत्र
जवाब देंहटाएंहंगामा था बरपा
थोड़ी सी ही पी
मुफ़्त राशन
चुनाव से पहले
फिर वसूली
वाह ! कौन कहता है कि हाइकू लिखने में आपकी गति नहीं है ? बहरहाल आपकी रचनाओं में बेचारे राजनीतिपटु नेताओं की दुर्गति होकर वे मोक्ष को प्राप्त हो जाते हैं।
ऐसी उदार प्रशंसा के लिए धन्यवाद मीना जी !
हटाएंमेरे क़ातिलाना सोच वाले हाइकू पर नेतागण मानहानि का मुक़द्दमा दायर करने वाले हैं. आप इनकी तारीफ़ कर रहीं हैं तो अपना अंजाम भी आप ख़ुद ही सोच लीजिए.
शानदार व्यंग!👌
जवाब देंहटाएंसुंदर! सुंदर त्रिपद लघु रचनाएं।
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद मन की वीणा !
हटाएंआप तो हर विधा की कविता करने में निष्णात हैं.
व्यंग धार लिए चुटीले हाइकू संवाद ...
जवाब देंहटाएंऐसे उदार आकलन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर नासवा जी.
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