आपके अपने घर में ही अगर आपका कोई प्रतिद्वंदी, कोई आपका राइवल, उठ खड़ा हो तो आपकी बादशाहत, आपकी ‘हीरो ऑफ़ दि फॅमिली’ इमेज, इन दोनों को ख़तरा हो जाता है.
महाकवि दिनकर की अमर पंक्ति –
‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ को कुछ बदल कर हमारे लिए परिवार से सन्देश आता है –
‘सिंहासन खाली करो कि वासू आता है’
अब ये वासू कौन है?
कैसे यह हमारी आन-बान-शान को
खुलेआम चुनौती दे रहा है?
16 सितम्बर, 2024 को जन्मा, गोलू-मोलू, गोरा-चिट्टा,, तीखे नाक-नक्श वाला, सेमी सुनहरे बालों वाला, काली-काली चमकती आँखों वाला , वासू उर्फ़ वात्सल्य, हमारी छोटी बेटी रागिनी का बेटा है अर्थात हमारा नाती है.
इस मार्च में एक शादी में
सम्मिलित होने के लिए हम पति-पत्नी और हमारी दोनों बेटियों के परिवार, उज्जैन गए थे.
उज्जैन से लौट कर हम सब लोग
ग्रेटर नॉएडा आ गए थे.
ग्रेटर नॉएडा के अपने 12
दिनों के प्रवास में मात्र 6 महीने का वासू परिवार के हर सदस्य के दिलो-दिमाग में
पूरी तरह से छाया रहा.
74 + के उसके नानू बेचारे कब
साइड लाइन में ढकेल दिए गए, यह उनको पता ही नहीं चला.
हमारी बड़ी बेटी गीतिका का
बेटा अमेय, उसकी बेटी इरा और रागिनी की
बेटी सारा उर्फ़ आसावरी, तो दिन-रात, सोते-जागते, वासू-मन्त्र का जाप करने में ही व्यस्त रहते थे.
अब आप ही बताइए !
6 महीने का पिद्दी सा छोरा जिसे
तब तक ढंग से बैठना भी नहीं आता था, जो कि तब तक बिना दांत वाला यानी कि निहायत ही पोपला था, जो कि लिखने-पढ़ने से कोसों दूर था (और आज भी है), जो कि ‘मम्मा. मम्मा’ के अलावा
कुछ बोलना भी नहीं जानता था, जो कि अपने
सारे नित्य-कर्म डायपर में ही करता था, जो कि अदब-शिष्टाचार आदि से सर्वथा अनभिज्ञ था, वो रोज़ाना 7 किलोमीटर टहलने वाले, सभ्य-सुसंस्कृत, निजी स्वच्छता में पूर्णतया आत्मनिर्भर, अच्छे खासे पढ़े-लिखे, 28 दांत वाले और केवल जनता की मांग पर ही अपना भाषण समाप्त करने वाले, अपने नानू के रहते, जुम्मा-जुम्मा चार दिन में ही, घर का हीरो कैसे बन गया?
बेचारे नानू ने अपने
नाती-नातिन को बार-बार नानू-यशपुराण सुनाया लेकिन वासू-मन्त्र के शोर के आगे वह उनके
कानों तक पहुंचा ही नहीं.
शम्मी कपूर पर फ़िल्माया गया
फ़िल्म ‘जानवर’ का गीत – ‘तुम से अच्छा कौन है?’ हमको बहुत प्रिय है. इस गाने की तर्ज़ पर हम अमेय, इरा और आसावरी से सवाल करते थे –
‘सबसे अच्छा बच्चा कौन है?’
क़ायदे से तीनों बच्चों को गाते
हुए जवाब देना चाहिए था –
‘सबसे अच्छे बच्चे नानू हैं’
लेकिन इनका संगीतमय जवाब
होता था –
‘सबसे अच्छा बच्चा वासू है.’
नानू की तरफ़ से एक घोषणा
होती थी –
‘East or
west, Nanu is the best.’
तीनों दुष्ट एक साथ कहते थे–
‘No ! East
or west, Vasu is the best.’
वासू के स्वागत में उसकी
नानी ने एक पारिवारिक आयोजन किया.
हमारे भाई-बहन के परिवार
उसमें सम्मिलित हुए.
आगंतुकों में कोई वासू की
पोपली हंसी पर फ़िदा था तो कोई उसके लेटे-लेटे अपने पैरों से साइकिल चलाने पर तो
कोई उसकी मंद-मंद मुस्कान पर.
हमारे श्रीश भाई साहब ने
वासू को जब गोद में लिया तो उसने अपने एक हाथ से उनका एक कान ज़ोर से उमेठ दिया.
वासू के इस गुनाहे-अज़ीम पर
सब लोगों के साथ श्रीश भाई साहब भी ही-ही कर के हंस रहे थे.
अमेय, इरा और सारा तो वासू की इस अदा पर फ़िदा ही हो गए.
ये तीनों बच्चे, हम से बार-बार अनुरोध करते थे –
‘नानू ! आप वासू को अपनी गोदी में लीजिए. हम देखेंगे कि वो
आपके कान पकड़ता है कि नहीं.’
वासू सहित रागिनी का परिवार
बंगलुरु लौट गया.
गीतिका परिवार दुबई वापस चला
गया.
अब ग्रेटर नॉएडा में रह गए
हम पति-पत्नी.
बच्चों की अनुपस्थिति में अपने
पातिव्रत धर्म का पालन करते हुए अब हमारी श्रीमती जी को हमारी जम कर खातिर-तवज्जो
करनी चाहिए लेकिन उनका अधिकतर वक़्त रागिनी
द्वारा भेजे गए वासू-लीला के वीडियोज़ देखने में बीतता
है.
रागिनी को जब भी अपने ऑफ़िस के काम से फ़ुर्सत
मिलती है तो वो हमको वीडियो चैट के ज़रिए वासू का दीदार करा देती है.
वासू अब घुटनों के बल चलता है. वह बैठ कर अपनी
बहन सारा के साथ बॉल से खेलता है. अब वह आठ दांत वाला हो गया है.
अब वह सहारा ले कर खड़ा हो जाता है और कुछ देर तक वह बिना किसी
सहारे के भी खड़ा रहता है.
जल्द ही - ‘ठुमक चलत वासू चन्द्र’ गीत गाने का अवसर भी आने
वाला है.
वासू की शब्दावली भी बढ़ती जा रही है, दिनों-दिन उसकी शरारती
हरक़तें भी बढ़ती जा रही हैं.
‘वासू ने ये किया, वासू ने वो किया, अब वासू ये-ये करने वाला
है.’
ये सब सुनते-सुनते हमारे कान पकते जा रहे हैं और
इधर हम हम हैं कि दिन ब दिन परिवार की सुर्ख़ियों वाली ख़बरों की जगह हाशिये वाली
ख़बरों तक से निकलते जा रहे हैं.
हमको हाशिये की ख़बरों तक से निकालने वाले इस
नन्हे प्रतिद्वंदी की अभूतपूर्व लोकप्रियता से जलन तो होती है पर ख़ुद हम अपने दिल
का क्या करें?
परिवार के अन्य सदस्यों के दिलों पर हुकूमत करने
के साथ-साथ यह नटखट-उल-मुल्क, यह दिलखुश कीता, यह चितचोर. ख़ुद हमारे दिल पर भी धड़ल्ले से राज कर रहा है.
लोकप्रियता में हमको पटकनी देने वाले अपने इस नन्हे
प्रतिद्वंदी को गोद में उठाने को, इसको ठुमक-ठुमक कर चलते हुए देखने को, इसकी नई-नई शरारतों का मज़ा
लेने को, हमारा जिया न जाने क्यूं बेक़रार रहने लगा है.