रविवार, 29 अगस्त 2021

चंद हाइकू

हाइकू की रचना करने में मेरी गति नहीं है फिर भी औरों की देखा-देखी मैंने इस क्षेत्र में कुछ गुस्ताखिया की हैं.
अब ये अच्छी हैं या बुरी हैं, यह तो आप ही तय कीजिए -
दुनिया फ़ानी
फिर भी मोह माया
जाग अज्ञानी
राम भरत
गद्दी पर विवाद
कोर्ट पहुंचे
संसद सत्र
हंगामा था बरपा
थोड़ी सी ही पी
मुफ़्त राशन
चुनाव से पहले
फिर वसूली
लम्बा भाषण
सुन के कान पके
जनता सोई

14 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन प्रयास आदरणीय सर । चिंतनपूर्ण आगाज, राजनीति पर समापन,😀😀🙏🙏

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    1. धन्यवाद जिज्ञासा. अमूमन लोगबाग वैराग्य पर समापन करते हैं पर मेरी रचनाएँ तो आमतौर पर राजनीति के दलदल में धंसे हुओं को ही समर्पित होती हैं, इसलिए समापन भी नेता जी की लीला दर्शाते एक हाइकू से किया है.

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(३०-०८-२०२१) को
    'जन्मे कन्हैया'(चर्चा अंक- ४१७२)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. 'जन्मे कन्हैया' (चर्चा अंक - 4172) में मेरे हाइकू सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद अनीता !

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  3. उत्तर
    1. मेरे हाइकू की प्रशंसा करने के लिए धन्यवाद ज्योति !

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  4. संसद सत्र
    हंगामा था बरपा
    थोड़ी सी ही पी
    मुफ़्त राशन
    चुनाव से पहले
    फिर वसूली
    वाह ! कौन कहता है कि हाइकू लिखने में आपकी गति नहीं है ? बहरहाल आपकी रचनाओं में बेचारे राजनीतिपटु नेताओं की दुर्गति होकर वे मोक्ष को प्राप्त हो जाते हैं।

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    1. ऐसी उदार प्रशंसा के लिए धन्यवाद मीना जी !
      मेरे क़ातिलाना सोच वाले हाइकू पर नेतागण मानहानि का मुक़द्दमा दायर करने वाले हैं. आप इनकी तारीफ़ कर रहीं हैं तो अपना अंजाम भी आप ख़ुद ही सोच लीजिए.

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  5. शानदार व्यंग!👌
    सुंदर! सुंदर त्रिपद लघु रचनाएं।

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    1. उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद मन की वीणा !
      आप तो हर विधा की कविता करने में निष्णात हैं.

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  6. व्यंग धार लिए चुटीले हाइकू संवाद ...

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  7. ऐसे उदार आकलन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर नासवा जी.

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