सर ए० ओ० ह्यूम का विलाप –
(सूरदास के पद – ‘तुम पै कौन दुहाबै गैया’ की तर्ज़ पर)
कांग्रेस की डूबत नैया
मात-सपूत जबर जोड़ी जब जाकी बनी खिवैया
दल के नेता संकेतन पै नाचैं ताता थैया
प्रतिभा-भंजक युवा-बिरोधी घर-घर फूट पडैया
आतम बानी बेद-बचन सम और न कछु सुनवैया
लोकमान्य गांधी नेहरु की संचित पुण्य मिटैया
ह्यूमदास प्रभु किरपा कीजो तुमहिं मुक्ति दिलवैया
नोट: ऐसा विलाप किसी भी राजनीतिक दल का संस्थापक कर सकता है. बस, हमको राजनीतिक दल के संस्थापक का नाम, राजनीतिक दल का नाम और उसे संचालित करने वाली जुगल-जोड़ी के नाम बदलने होंगे
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 22सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
'पांच लिंकों का आनंद' में मेरी काव्य-रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद पम्मी सिंह जी.
हटाएंहा हा हा !!! ज़बरदस्त । 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएं'हां हां हां !' के लिए धन्यवाद संगीता स्वरुप (गीत) जी.
हटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंतारीफ़ के लिए शुक्रिया दोस्त !
हटाएं'तुम पै कौन दुहाबै गैया' (चर्चा अंक - 4195) में मेरी काव्य-रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद डॉक्टर रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' !
जवाब देंहटाएंवाह! लाजवाब!
जवाब देंहटाएंतारीफ़ के लिए शुक्रिया मनीषा !
हटाएंवर्तमान स्थिति पर बहुत ही सटीक लेखन।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ज्योति !
जवाब देंहटाएंहम, तुम या कोई भी, इन चिकने घड़ों के बारे में कुछ भी कहे, कुछ भी लिखे, इन पर रत्ती भर भी असर नहीं होता.
बिलकुल दुरुस्त लिखा है
जवाब देंहटाएंमेरी गुस्ताखी के उदार आकलन के लिए धन्यवाद कविता जी.
हटाएंगज़ब
जवाब देंहटाएंप्रशंसा के लिए धन्यवाद सुनीता अग्रवाल 'नेह' जी.
हटाएंहमेशा की तरह लाजवाब!
जवाब देंहटाएंप्रशंसा के लिए धन्यवाद कुसुम जी.
जवाब देंहटाएंअगर आप सुधी पाठकों का स्नेह बना रहे और हमारे नेताओं की मक्कारियां, छल-कपट भी आबाद रहे तो मेरी लेखनी ऐसी खुराफ़ातें करती रहेगी.
अब तक एओ हुयूम चार जन्म लेकर निहाल हो चुके होंगेमारक व्यंग्य के साथ रोचक पद 👌👌👌👌🙏🙏🙏🌷🌷
जवाब देंहटाएंरेणु, ए० ओ० ह्यूम चाहे चार जन्म लें या फिर चार सौ बार!
हटाएंपिज़्ज़ा मम्मी और पप्पू भैया की हुकूमत रहते तो वो कांग्रेस का पुनरोद्धार नहीं देख पाएंगे.