रविवार, 3 सितंबर 2023

विश्वगुरु भारत

 अन्धविश्वास हमारे जीवन में कुछ इस तरह रचा-बसा है कि हम उसके बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते.

अपनी आधुनिकता और अपनी प्रगतिशीलता का ढोल पीटने के बावजूद हम –
राफ़ेल विमानों को बुरी नज़र से बचाने के लिए उनके पहियों के नीचे नीबू-मिर्च रख देते हैं.
चंद्रयान – 3 की सफलता के लिए सैकड़ों स्थानों पर यज्ञ-हवन का आयोजन करते हैं.
सरकार के गठन के बाद शपथ-ग्रहण समारोह की तिथि और उसका समय, शुभ-मुहूर्त देख कर, आज भी कोई ज्योतिषी ही निर्धारित करता है.
यूँ तो हमारे समाज में पुरुष भी अन्धविश्वास से ग्रस्त होते हैं किन्तु हमारे स्त्री-समाज में तो इसका आज भी प्रभुत्व स्थापित है.
20 वीं शताब्दी के प्रारंभ तक हमारे देश में स्त्री-शिक्षा का प्रसार बहुत ही कम था और अनपढ़ स्त्रियों में अन्धविश्वास की जड़ें इतनी मज़बूत थीं कि उनके उन्मूलन हेतु सुधारकों के सारे के सारे प्रयास निष्फल ही सिद्ध होते थे.
सैयद अहमद देहलवी 19 वीं शताब्दी के अंतिम चरण में और 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में उर्दू के प्रसिद्द पत्रकार और प्रगतिशील लेखक थे.
उर्दू पत्रिका – ‘इस्मत’ (दिल्ली से प्रकाशित), दिसम्बर, 1908
में उनका लेख – ‘औरतों के मनगढ़न्त मसले’ प्रकाशित हुआ था.
इस लेख में उन्होंने तत्कालीन मुस्लिम स्त्रियों में व्याप्त 100 अंधविश्वासों का उल्लेख किया है.
इन 100 अंधविश्वासों में से मैं कुछ चुन कर आप मित्रो के समक्ष रख रहा हूँ.
इमानदारी से बताइएगा कि स्वयं आप उनमें से कितनों से ग्रस्त हैं -
1. पहलौटी के बच्चे को बिजली के सामने न आने दो क्यूँकि जेठे (बड़ा बेटा) पर अक्सर बिजली गिरती है. पहलौटी बच्चे की बहुत हिफ़ाज़त करो.
जिन्न वा (या) प्रेत को यह प्यारा होता है.
भेंट (बलि) इसकी चढ़ाई जाती है.
नज़र इसको लगती है, गरज़ कि सबसे ज़्यादा आफ़तें इस पर आती हैं.
2. तीतरा बेटा (तीन लड़कियों के बाद पैदा होने वाला बेटा) मँगाता (भीख मँगाता) और तीतरी बेटी (तीन लड़कों के बाद पैदा होने वाली) राज कराती है.
3. बहुत पानी बरसे तो बरसे पानी में तेल डाल दो, थम जाएगा.
4. सख़्त आँधी आए तो झाड़ू खड़ी कर दो. रुक जाएगी.
5. शबे बरात को परछाईं देखो, अगर नज़र आए तो जानो कि इस साल ज़िदा रहोगे वरना समझ लो कि हमारी उम्र पूरी हो गई.
6. अगर कोई टोके यानी तारीफ़ करे तो कह दो कि अपनी एड़ी देखो, इसमें क्या लगा है, ताकि उसकी टोक और नज़र न लगे.
7. छिपकली छू जाय तो सोने के पानी से धो डालो.
8. हाथ की चूडी टूटे तो ठन्डी हुई कहो क्योंकि बेवा होने पर चूड़ियाँ तोड़ी जाती हैं.
9. दुपट्टा कहीं से जल जाय तो दूध से धो डालो.
10. काली खाँसी हो जाए तो काले कुत्ते को दही चटा दो.
11. जब कोई अज़ीज़ (प्रिय) सफ़र को जाय तो उसकी पीठ को आइना दिखाओ ताकि जिस तरह जाते की पीठ देखी है, आते का मुँह देखो.
12. जिस वक़्त ज़लज़ला (तूफ़ान) आए तो पुकार कर कहो - ‘ज़ल्ले जलाल तू, आई बला को टाल तू’
13. बिल्ली रास्ता काट दे तो आगे न जाओ. बचकर निकल जाओ.
14. तीसरी तारीख़ (तृतीया) का चाँद देखना मनहूस है.
15.. कोई चीज़ तीन, तेरह लो न दो कि मुफ़ारक़त (विच्छेद) की अलामत (लक्षण) है.
16. गहन (ग्रहण) के दिन अक्सर बच्चा गहनाया (दोषयुक्त) हुआ पैदा होता है.
17. औरत की दाहिनी, मर्द की बाईं आँख फड़कनी अच्छी है, बिछड़ा हुआ अज़ीज़ मिलता है. उसके बरख़िलाफ़ (विरुद्ध)हो तो रेज़ व सदमें (बिछोह और शोक) की अलामत (लक्षण)है .
18. मूली की पेंदी (जड़) खाने से माँ-बाप मर जाते हैं.
19. मर्त ब्याही (जिसके बच्चे जीवित न रहते हों) औरत की परछाईं से बचो नहीं तो तुम्हारे बच्चे भी नहीं बचेंगे.
20. कव्वा बोले तो किसी अज़ीज़ परदेसी के आने का शगुन समझो और नाम लेकर पूछो कि क्या फलाँ शख़्स आता है, अगर उसके नाम पर उड़ जाय तो जानो कि वह आता है.
21. साँप कुवाँरी बाली (लड़की) के साये से अंधा हो जाता है.
22. खाना खा कर हाथ न झटको, इससे नहूसत (मनहूसियत) आती है.
23. कुरान शरीफ़ खुला न छोड़ो, शैतान पढ़ता है.
24. कुत्ता रोए तो जानो कि कोई आस्मानी आफ़त (दैवी आपदा) आएगी.
25. बिल्ली रोए तो जानो कि कोई घर का आदमी मरेगा.
26. गिलहरी बीबी फ़ातिमा (हज़रत मुहम्मद की बेटी) की गुड़िया है, उसे न मारो.
27. झाड़ू बदन को लग जाय तो थुकथुका फेंको (थूक दो) वरना दुबले सींक सलाई से हो जाओगे.
28. जिस औरत की पीठ पर नागिन (नागिन जैसा निशान) हो, उसका ख़ाविन्द (पति) ज़िन्दा नहीं रहता.
29. सोना (स्वर्ण) पाना भी बुरा और जाना भी बुरा.

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब | और भी हैं कई जिमका साया अभी ज़िंदा है

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    1. मित्र, आज हम अपने नेताओं पर जो आँख मूँद कर विश्वास कर लेते हैं, वह तो अन्धविश्वास का सबसे हानिकारक उदाहरण है.

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  2. चाँद पर जाने से गरीब के पेट को क्या फायदा हुआ ???
    फिर उस के लिए हवन में कुण्टलों की मात्रा में अन्नाज जला देते हैं.
    खेर
    मोर रोए तो अपसगुन माना जाता है गाँव में
    बिल्ली और रास्ता वाला तो यूनिवर्सल है ;)

    पधारिये- संस्कृति - विकृति

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    1. मित्र रोहितास, 1972 तक अमेरिका ने 12 अंतरिक्ष-यात्री चन्द्रमा पर उतार दिए थे पर फिर 52 साल से उन्होंने अपने इस बहुत खर्चीले किन्तु अनुत्पादक अभियान को बंद कर दिया. हम भारतीय दिखावे की उपलब्धियों के लिए करोड़ों देशवासियों को बेरोज़गार और भूखा रख सकते हैं.
      अन्धविश्वास के हमारे संस्कार इतनी जल्दी हमारा पीछा नहीं छोड़ने वाले.

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  3. विश्वास और अंधविश्वास में अंध का ही फर्क है और कई बार तथाकथित बुद्धिजीवी अपने आप को प्रगतिशील दिखाने के लिए भी ऐसी बातों का विरोध करते हैं ... मेरा मानना है मान्यताओं पर व्यर्थ प्रहार न होते हुए भी खुद को दिखाना ही है बस ... चाहे वो खुद भी हर बात को अकेले में खुद करते होंगे ..

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    1. दिगंबर नासवा जी, अगर हम अन्दर से ख़ुद अन्धविश्वासी होते हुए भी अन्धविश्वास पर प्रहार करते हैं तो यह हमारा ढोंग है, पाखण्ड है लेकिन हम फिर भी उन से अच्छे हैं जो सार्वजनिक रूप से अन्धविश्वास का पालन करते हैं और उसका प्रचार करते हैं.

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  4. कुसुम जी, यह तो अन्धविश्वास की फ़िल्म का ट्रेलर है. इसकी पूरी फ़िल्म देख पाना तो हमारे-आपके बस में ही नहीं होगा.
    प्रेमचन्द की दो कहानियां - 'मूठ' और 'तैंतर' ज़रूर पढ़िएगा.

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