इस सियासत की तिजारत में सभी कुछ खोकर,
किसी जागीर, रियासत का, तलबगार नहीं।
हाँ! इलेक्शन में फिर इक बार जो मुंह की खाऊं,
मुझको ओहदा-ए-गवर्नर जो मिल जाये, तो इंकार नहीं।।
___________________________________________
आप अँधा कहें मुझको, कोई ऐतराज़ नहीं,
रेवड़ी-बाँट का ठेका, जो मुझे दिलवा दें.
रेवड़ी-बाँट का ठेका, जो मुझे दिलवा दें.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें