गुरुवार, 28 जुलाई 2016

आम आदमी

झूठे विकास, शैतानी-बाज़ारवाद तथा सर्वत्र व्याप्त प्रदूषण से घुटते, मिटते, सिसकते और छटपटाते हुए आम आदमी की दुर्दशा पर मेरे उदगार –
विकास
यह गरीब को मिटा रहा है, किन्तु अमीरी बढ़ा रहा है.
ठगा, लुटा, बेबस सा, मंज़र, देख रहा है, आम आदमी.
बाज़ार
नैतिकता को बेच दिया है, मौलिकता नीलाम हो गई,
इज्ज़त बिकती माँ-बहनों की, फिर भी चुप क्यूँ आम आदमी?
बुझी आग
दीन-हीन सा, औ निरीह सा, किंचित कातर, किंचित कायर,

ज़ुल्म-सितम, घुट-घुट कर जीता, बुझी आग, क्यूँ आम आदमी?      
प्रदूषण
धर्म प्रदूषित, कला प्रदूषित, राजनीति आकंठ प्रदूषित,
मेहनतकश का भाग प्रदूषित, नित-नित मरकर, फिर जीने को,
शापित क्यूँ है, आम आदमी?
पर अब आम आदमी को अपनी नियति से और हुक्मरानों की नीयत से कोई शिकायत नहीं रह गई है –
वो परेशान बहुत हैं, मेरी बदहाली पर,
खून पीने को मगर, और कहाँ पर, जाएं?     

6 टिप्‍पणियां:

  1. आम आदमी हैं बहुत हैं और उनका समूह (गैंग कहना ज्यादा अच्छा है) जो अपनी सुविधा अनुसार अपने अपने हिसाब की किताबों को मिलाते हुए साथ चलते हैं जब तक काम निकलते हैं गलबहिय्याँ डाले दिखते हैं । नहीं पटती है इस गैंग से उस गैंग की ओर निकल पड़ते हैं । बेवकूफ ये सब देखते हैं समझने की कोशिश करते हैं समझ नहीं पाते हैं तो सिर पटकते हैं । पर जो है सो है चलती तो आम आदमी की है और खाली आदमी आदमी होने का जुगाड़ सोचता रह जाता है जिंदगी भर ना आम हो पाता है ना खास हो पाता है ना ही आदमी हो पाता है ।
    निरंतरता से पोस्ट कर रहे हैं बहुत अच्छा है । लोगों के ब्लाग पर जा कर अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराइये चाहे इतना ही लिखें वाह या अच्छी प्रस्तुति इत्यादि। चर्चा मंच ब्लाग बुलेटिन आदि जब भी आपकी पोस्ट का जिक्र करें जा कर धन्यवाद दे कर आयें इसी तरह आप अपने पाठक बड़ा सकते हैं ।

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  2. आम आदमी की चटनी, जैम , जूस और अचार नेताओं को, बाबाओं को , मौलानाओं को स्वादिष्ट और पौष्टिक लगते हैं. खास आदमी और आम आदमी के अलावा होता है - 'नक्खास आदमी' इस कबाड़ी बाज़ार में बेचा और खरीदा जाता है. हमारे देश में 'नक्खास आदमी' की संख्या ही सर्वाधिक है.
    तुमने और लोगों के ब्लॉग से जुड़ने की बात की है, मैं ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से जुड़ने का प्रयास करूँगा. अभी तो मेरे ब्लॉग पर सुशील जोशी ही प्रतिक्रिया देते हैं.

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  3. आज के ब्लाग बुलेटिन पर चर्चा है आपके आम आदमी की आभार दे कर तो आइये :)

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    1. हम आपका आभार अवश्य करते हैं, आपकी लगातार सक्रिय उपस्थिति के लिए. :)

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  4. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'श्रद्धांजलि हजार चौरासी की माँ को - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  5. धन्यवाद, राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरजी. 'श्रद्धांजलि हज़ार चौरासी की माँ को- ब्लॉग बुलेटिन' में मेरी कविता शामिल कर आपने ज़्यादा से ज़्यादा साहित्य प्रेमियों से जुड़ने का मुझे मौक़ा दिया है.

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