मंगलवार, 12 दिसंबर 2017

राष्ट्रकवि से क्षमा-याचना के साथ

'हम कौन थे, क्या हो गए,
और क्या होंगे अभी,
आओ विचारें, बैठ कर के,
ये समस्याएं सभी.
(राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त)

राष्ट्रकवि से क्षमा-याचना के साथ -

हम चोर थे, डाकू हुए,
फिर हो गए, नेता सभी,
निज देश को, हम लूटना,
क्या भूल सकते हैं कभी?

जन-जन की प्रार्थना -

अवतार ले के भगवन,
इस देश को बचा ले,
चील और गिद्ध जैसे,
नेता सभी, उठा ले.

4 टिप्‍पणियां: