दुष्यंत कुमार से क्षमा याचना के साथ –
घर का भेदी कुर्सी पाए -
सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना, मेरा मक्सद नहीं,
मेरी कोशिश है, तेरी, कुर्सी भी मिलनी चाहिए.
xxxxxxxxxxxx
मिर्ज़ा ग़ालिब से क्षमा याचना के साथ -
जूतियों का नया शो-रूम -
पोल खुलते, साख सारी, रद्दियों में तुल गयी,
जूतियाँ उन पर पडीं, इतनी, दुकानें खुल गईं.
xxxxxxxxxxxxxx
राष्ट्र कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त से क्षमायाचना के साथ –
हम चोर थे, डाकू हुए,
फिर हो गए, नेता सभी,
निज देश को, हम लूटना,
क्या भूल सकते हैं कभी?
xxxxxxxxxxxx
मेरी अपनी बात -
राम तेरे राज में
-
भूखे-नंगो के भी
दिन, अब बड़े अच्छे होंगे
खाने को भीगे चने, जिस्म पे कच्छे होंगे
वाह क्या बात है।
जवाब देंहटाएंप्रशंसा के लिए धन्यवाद सुशील बाबू और अच्छे दिन आने पर आपको बधाई भी! पेट्रोल, डीज़ल और गैस, सबके दाम बढ़ गए हैं, अब आगज़नी की घटनाएँ कम होंगी.
जवाब देंहटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
लाज़बाब!!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विश्वमोहन जी. कभी हमारे यहाँ भीगे चनों पर आइए.
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय गोपेश जी -- आपके नटखटपन को उजागर करती गुस्ताखियाँ बहुत रोचक हैं | बहुत सार्थक कटाक्ष हैं | सादर --
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रेनू जी. मेरी बेटियां कहती हैं - 'पापा, अब तो बड़े हो जाइए.' क्या करूं, आदत से मजबूर हूँ, प्रसिद्द हिंदी-उर्दू काव्य-रचनाओं को अपने व्यंग्य के सांचे में ढालने की कभी-कभार गुस्ताखी कर लेता हूँ.
हटाएंआपकी गुस्ताखियाँ बड़ी प्यारी है आदरनीय गोपेश जी | बुलंद रहिये कोई हर्ज नहीं |
हटाएंउत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद रेनू जी. अब फिर कोई और गुस्ताखी करूंगा तो उसका इल्ज़ाम आपके द्वारा दिए गए प्रोत्साहन पर डाल दूंगा.
हटाएं