उल्झन -
दुबईवासिनी अपनी बड़ी बेटी गीतिका और उनके परिवार से रोज़ाना 'बोटिम' के ज़रिये स्मार्ट फ़ोन पर मुलाक़ात हो जाती है. कल हमारी नातिन इरा का मुंडन हुआ. उनके 5 साल से कुछ दिन कम आयु के बड़े भाई श्री अमेय, इरा को दिखाकर अपनी टूटी-फूटी हिंदी में मुझसे कहने लगे -
'नानू देखो, इरा भी आपके जैसा हो गया है.'
अब मेरी उल्झन यह है कि -
मानहानि का मुक़द्दमा मैं श्री अमेय पर दायर करूं?
या
उनके बगल में बैठी - 'ही, ही-ही-ही' करती हुई उनकी माँ पर?
या
मेरे बगल में बैठी - 'खी-खी-खी' करती हुई उनकी नानी पर?
या
उनके बगल में बैठी - 'ही, ही-ही-ही' करती हुई उनकी माँ पर?
या
मेरे बगल में बैठी - 'खी-खी-खी' करती हुई उनकी नानी पर?
पुनश्च -
पारिवारिक पंचायत और मित्रों की सभा से मशवरा करने के बाद मैंने घर के खतावारों पर मानहानि का मुक़द्दमा दायर करने का इरादा छोड़ दिया है और अब इसके बदले मैंने भगवान् जी पर -
'बाल-हानि' का मुक़द्दमा दायर करने का फैसला लिया है.
'बाल-हानि' का मुक़द्दमा दायर करने का फैसला लिया है.
तीनों पर कीजिए , शरारत में बराबर हैं तीनो.... चाहे तो श्री अमेय जी माफ कर सकते हैंं क्योंंकि -- "क्षमा बड़न को चाहिए , छोटन को उत्पात" ।
जवाब देंहटाएंकाहे का मुकदमा...आपसे ठिठोली करने के लिए, आपके होठों पर मुसकान लाने के लिए,इतने प्यारे मीठे बच्चों की मासूमियत पर तो आपको उन्हें ईनाम देना चाहिए।
जवाब देंहटाएंसर, इतने मनमोहक परिवार के लिए आप और मैडम जी ईश्वर की विशेष कृपा के पात्र हुये..। सबका साथ और प्यार यू्ँ ही बना रहे यही कामना करते हैं।
ठीक है श्वेता जी, आपकी सलाह पर तीनों अपराधियों पर मुक़द्दमा दायर करने का इरादा छोड़ा पर इन तीनों को अपनी कविताएँ सुनने की सज़ा तो मैं ज़रूर दूंगा.
हटाएंमीना जी श्री अमेय को कैसे माफ़ कर दूं? ये जनाब तीन साल की उम्र में मेरा एक ऐसा चित्र भी बना चुके हैं जिसमें कि इन्होने मेरे सर पर कुल जमा 18 बाल दिखाए थे जब उनकी संख्या उस समय इस से कई गुना अधिक थी.
जवाब देंहटाएंबचपन कहाँ मिलता है खिलखिलाइये बच्चों के साथ मिल कर।
जवाब देंहटाएंअमेय की इस गुस्ताखी के बाद उस से और उसकी गंजी बहन से मिलने का बहुत मन कर रहा है.
हटाएंब्लॉग सूची बढ़ाइये अपनी।
हटाएंबचपन की मासूमियत का सुंदर प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंबचपन की मासूमियत या महा-शरारत? अभिलाषा जी, इन शैतानों ने तो परदेस में रहते हुए भी हमारे दिलों पर क़ब्ज़ा कर रखा है.
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 11/11/2018 की बुलेटिन, " लहू पुकारे ... बदला ... बदला ... बदला “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शिवम् मिश्रा जी. आप सबके प्यार और प्रोत्साहन से मेरी रचनात्मकता को ऊर्जा मिलती है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय गोपेश जी -- आपके बचपने का भी जवाब नहीं !!!!!!!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रेनू जी. लगता है कि आपकी सहानुभूति मेरे साथ नहीं, बल्कि खतावारों के साथ है.
हटाएंअमेय पर ही करना चाहिए , न वह यह कहता और न यह ही ही खी खी होती ! बदनाम वही कर रहा है
जवाब देंहटाएंसतीश सक्सेना जी, आप एक बार उस बाल-अपराधी से मिल लीजिए. जैसे कान्हाजी गोपिकाओं को सताने के साथ-साथ उनका दिल भी चुरा लेते थे, वैसे ही यह चित-चोर आपका दिल चुराकर नहीं, बल्कि उसे लूटकर ले जाएगा.
जवाब देंहटाएंअच्छा है की टोपी पहने रहिये या मेरी तरह बालों नए तरीके से बनाने का जुगाड़ करिए ...
जवाब देंहटाएंऔर दुबई की प्रोब्लम सच में गहरी है ...
दिगंबर नसवा जी, मीरा ने शायद मेरे जैसे लोगों के लिए ही कहा है 'अब तो बात फैल गयी, जाने सब कोई.' अब हम कैप-पगड़ी-हैट से इस विश्व-व्यापी समाचार को छुपा नहीं सकते.
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 15 नवम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1217 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
धन्यवाद रवींद्र सिंह यादव जी. 'पांच लिंकों का आनंद' के 15 नवम्बर के अंक को पढ़ने के लिए मैं आज से ही उत्सुक हूँ. ईश्वर से प्रार्थना है कि मेरी कलम को आप लोगों का प्यार और प्रोत्साहन यूँ ही मिलता रहे.
हटाएंबहुत बहुत बधाई आपके इस अद्भुत मान - वर्द्धन के लिए जो बच्चे ने अपनी साम्यता आपके साथ बिठा लिया। मानहानि तो तब होती जब उसे दुबई के प्रशस्त मरुस्थल में आपके भव्य कपाल के दर्शन होते। तब भी शायद दुबई की मरुभूमि ही गौरवान्वित होती। बधाई और आभार, इरा और अमेय को आपकी इतनी सुंदर रचना का आधार बनने हेतु!
जवाब देंहटाएं' बाल - हनी ' से उपजे ' बाल (पन ) लाभ ' की बधाई आपको भी!
हटाएंविश्वमोहन जी, नटखट अमेय ने लगभग तीन साल की उम्र में ब्लैक-बोर्ड पर अपने नानू का एक चित्र बनाया था जिसमें उनके सर पर कुल जमा 18 बाल दिखाए गए थे. दुबई हम दो बार घूम आए हैं. यह नन्हा अपराधी दिल और समय, कब और कैसे चुराता है, पता ही नहीं चलता और अब तो उसकी एक बहनजी भी आ गयी हैं.
हटाएंवाह ऐसी उलझन जिस से मन खिल खिला उठे भगवान सभी को दे श्री मान, बालों का क्या मोहमाया से निजात का संकेत है "बालो" का साथ मोह में बधंने का, इतना अनुठा वाक्या आपने शेयर किया हम अभिभूत हुवे, वैसे दैनिक जीवन में ऐसे प्यारे हादसे होते रहते हैं जो नव जीवन का संचार करते हैं और अपनो के होने की खास अनुभूति करवाते हैं, और आपने इस को सब के साथ बांट कर सौ गुणा आनंद बढ़ा लिया आप जब भी एक प्रतिक्रिया पढेगें आपके मुख पर स्वतः ही मुस्कान होगी और शुभकामनाएं हैं कि आप सदैव मुस्कुराते रहें और मुकदमा कर ही डालिये नन्हों पर ज़ज सजा में सुनायेगा दोनों को भेजिए कुछ मीठा हो जाये का एक पैक ।
जवाब देंहटाएंकुसुम जी, यह नन्हा अपराधी अपनी अदाओं से जज को और उसके फ़ैसले को भी अपनी मुट्ठी में कर लेगा. वैसे सर की खेती सूखने से मुझे तो बहुत लाभ मिला है. कंघी, तेल, शैम्पू की बचत और तैयार होने में समय की बचत. साहिर का एक पुराना गाना मुझे बहुत पसंद है - उड़ें, जब-जब ज़ुल्फें तेरी, कंवारियों का दिल मचले' पर यहाँ 'जब-जब' उड़ने के बजाय ज़ुल्फें एक बार में ही समूची उड़ गईं. साहिर आज होते तो उन से इस गाने के बोल बदलने को कहता पर क्या करूं, न साहिर रहे और न ही मेरी ज़ुल्फें !
हटाएंअमेय को अपने नानू से शरारत करने का पूर्ण अधिकार है।यह छोटे-छोटे पल जीवन के खूबसूरत पल होते हैं। बेहद खूबसूरत चित्रण बाल शरारत का सादर आभार
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधा जी. इस परदेसी बाल-अपराधी की ऐसी शरारतों के बाद इस से मिलने का बहुत मन करता है और अब तो शरारत करने में उसकी सहायक बनकर उसकी नन्ही बहन भी क़यामत ढाया करेगी. आप लोगों का प्यार उसे और उसकी बहन को ऐसे ही मिलता रहे, यही भगवान से हमारी प्रार्थना है.
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंमजा आ गया आपकी और आपके बाल अपराधी के इस लेख पर साथ ही सभी प्रतिक्रियाओं और आपके प्रत्युतरों को पढ़कर....बहुत बहुत धन्यवाद आपका अपने नन्हें मुन्नो की शरारतें शेयर करके इस अलौकिक सुख को साझा करने के लिए...
हो आइये उनके पास मन की सुनकर....
हमारी तरफ से भी ढ़ेर सारा प्यार और आशीर्वाद लेकर....
धन्यवाद सुधा जी, रसखान के पद को थोड़ा बदलकर मैं कहूँगा - 'आठहु सिद्धि, नवौ निधि के सुख, बाल-गोपाल के ऊपर वारों.'
जवाब देंहटाएंबच्चों की शरारतें हमको रिचार्ज करती हैं. जितने दिन उनके साथ गुज़रते हैं, उनमें तो आनंद आता ही है, बाक़ी दिन उनकी चर्चा में सुख से कट जाते हैं.
आपका प्यार और आशीर्वाद, नटखट-द्वय तक प्रेषित कर दिया गया है.