आदरणीय राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी जी की वाल से चुराई हुई कहानी
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हज़रत इब्राहीम जब बलख के बादशाह थे, उन्होंने
एक गुलाम खरीदा।
हज़रत इब्राहीम उदार थे,उन्होंने गुलाम से पूछा - तेरा नाम क्या है?
गुलाम बोला - आप जिस नाम से पुकारें!
हजरत इब्राहीम ने फिर पूछा - तू क्या खायेगा?
वह बोला - जो आप खिलायें!
तुझे कैसे कपडे पसन्द हैं?
उत्तर था - जो आप पहनने को दें!
इब्राहीम ने फिर पूछा - तू क्या काम करेगा?
गुलाम बोला - जो आप हुक्म करें!.
. हजरत इब्राहीम ने हैरान होकर पूछा - तू चाहता क्या है?
गुलाम ने उत्तर दिया - हुजूर, गुलाम की अपनी चाह क्या हो सकती है?
हजरत इब्राहीम अपनी गद्दी से उतर पडे - अरे,तू तो मेरा उस्ताद है! तैने मुझे सिखा दिया कि परमात्मा के सेवक को कैसा होना चाहिये!
मानवमात्र के जीवन- दर्शन में दासों के चिंतन को पढा जा सकता है!
हज़रत इब्राहीम उदार थे,उन्होंने गुलाम से पूछा - तेरा नाम क्या है?
गुलाम बोला - आप जिस नाम से पुकारें!
हजरत इब्राहीम ने फिर पूछा - तू क्या खायेगा?
वह बोला - जो आप खिलायें!
तुझे कैसे कपडे पसन्द हैं?
उत्तर था - जो आप पहनने को दें!
इब्राहीम ने फिर पूछा - तू क्या काम करेगा?
गुलाम बोला - जो आप हुक्म करें!.
. हजरत इब्राहीम ने हैरान होकर पूछा - तू चाहता क्या है?
गुलाम ने उत्तर दिया - हुजूर, गुलाम की अपनी चाह क्या हो सकती है?
हजरत इब्राहीम अपनी गद्दी से उतर पडे - अरे,तू तो मेरा उस्ताद है! तैने मुझे सिखा दिया कि परमात्मा के सेवक को कैसा होना चाहिये!
मानवमात्र के जीवन- दर्शन में दासों के चिंतन को पढा जा सकता है!
मेरे द्वारा इस कहानी का बदला हुआ रूप –
एक आदर्श अंध-प्रचारक
हज़रत बड़बोले जब अंधेरनगरी के बादशाह थे, उन्होंने
एक व्यक्ति को अपना अंध-प्रचारक नियुक्त किया
हज़रत बड़बोले उदार थे, उन्होंने अंध-प्रचारक से पूछा - ‘तेरा नाम क्या है?’
अंध-प्रचारक बोला - ‘आप जिस नाम से पुकारें ! वैसे मेरा नाम लेने की कभी ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी.’
हज़रत बड़बोले ने फिर पूछा - ‘तू क्या खायेगा?’
वह बोला – ‘जो आप खिलायें ! वैसे आपके विरोधियों की गालियाँ, लाठियां तो रोज़ाना और कभी-कभी गोलियां भी मुझे खाने को मिलेंगी ही.’
‘तुझे कैसे कपडे पसन्द हैं?’
उत्तर था – ‘आपकी पार्टी का झंडा लपेट लूँगा. वैसे भी आपके विरोधी तो मुझे नंगा कर की ही छोड़ेंगे.’
हज़रत बड़बोले ने फिर पूछा – ‘तू क्या काम करेगा?’
हज़रत बड़बोले उदार थे, उन्होंने अंध-प्रचारक से पूछा - ‘तेरा नाम क्या है?’
अंध-प्रचारक बोला - ‘आप जिस नाम से पुकारें ! वैसे मेरा नाम लेने की कभी ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी.’
हज़रत बड़बोले ने फिर पूछा - ‘तू क्या खायेगा?’
वह बोला – ‘जो आप खिलायें ! वैसे आपके विरोधियों की गालियाँ, लाठियां तो रोज़ाना और कभी-कभी गोलियां भी मुझे खाने को मिलेंगी ही.’
‘तुझे कैसे कपडे पसन्द हैं?’
उत्तर था – ‘आपकी पार्टी का झंडा लपेट लूँगा. वैसे भी आपके विरोधी तो मुझे नंगा कर की ही छोड़ेंगे.’
हज़रत बड़बोले ने फिर पूछा – ‘तू क्या काम करेगा?’
अंध-प्रचारक
बोला –‘आप के विरोधियों के खिलाफ़ प्रचार
करूंगा, उनके विरुद्ध साज़िशें रचवाऊंगा, उन्हें किराए के गुंडों से पिटवाऊंगा
और अगर ज़रुरत पड़ी तो उनको जहन्नुम भी पहुंचवा दूंगा.’
हज़रत बड़बोले ने हैरान होकर पूछा – ‘तू चाहता क्या है?’
अंध-प्रचारक ने उत्तर दिया – ‘हुजूर, अगले चुनाव में सांसद नहीं तो कम से कम विधायक की टिकट दिए जाने के सिवा एक अंध-प्रचारक की अपनी चाह और क्या हो सकती है?’
हजरत बड़बोले अपने सिंहासन से उतर पडे – ‘अरे,तू तो मेरा उस्ताद है ! तैने मुझे सिखा दिया कि एक हाकिम के अंध-प्रचारक को कैसा होना चाहिये !’
मानवमात्र के चमचा-दर्शन में एक आदर्श अंध-प्रचारक की कार्य-शैली को पढा जा सकता है !
हज़रत बड़बोले ने हैरान होकर पूछा – ‘तू चाहता क्या है?’
अंध-प्रचारक ने उत्तर दिया – ‘हुजूर, अगले चुनाव में सांसद नहीं तो कम से कम विधायक की टिकट दिए जाने के सिवा एक अंध-प्रचारक की अपनी चाह और क्या हो सकती है?’
हजरत बड़बोले अपने सिंहासन से उतर पडे – ‘अरे,तू तो मेरा उस्ताद है ! तैने मुझे सिखा दिया कि एक हाकिम के अंध-प्रचारक को कैसा होना चाहिये !’
मानवमात्र के चमचा-दर्शन में एक आदर्श अंध-प्रचारक की कार्य-शैली को पढा जा सकता है !
और यही सब आज की जरूरत बन गया है अगर आप को आगे को बढ़ना है। वी सी ना बन गये होते नहीं कहा तो :D :D
जवाब देंहटाएंहम-तुम अंध-प्रचारक मटीरियल हो ही नहीं सकते. कोई अगर हमको-तुमको अपना प्रचारक बनाएगा तो उसका कच्चा-चिटठा हमारे ज़रिए जग ज़ाहिर हो जाएगा. इसलिए इस जनम में हमारा-तुम्हारा आगे बढ़ना मुश्किल है.
हटाएंकिसी भी तथ्य पर लिखने में लाजवाब हैं आप । आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मीना जी. गंभीर से गंभीर बात को व्यंग्यात्मक रूप देना अब मेरा स्वभाव बन चुका है किन्तु यह व्यंग्य आज की व्यवस्था की कोई न कोई पोल खोलता है.
हटाएंआप सबको भी दीपोत्सव की शुभकामनाएँ और बधाइयाँ !