संगम-स्नान
एक झूठ ढकने की खातिर, सौ-सौ झूठ बनाएँगे,
झूठ अगर जो पकड़े उसको, फांसी पर चढ़वाएँगे.
राम राज्य में हर सीता को, निष्कासित करवाएँगे,
घर के भेदी खोज-खोजकर, सिंहासन दिलवाएँगे.
इज्ज़त, अक्ल ताक पर रख दें, वहीं भक्त कहलाएंगे,
ख़ुद ज़मीर को बेच धनी हों, वही मंत्रि-पद पाएंगे.
ज़ुल्म-सितम का दमन चक्र, हर सच्चे पर चलवाएंगे,
पाप अगर हद पार कर गए, अर्ध-कुम्भ हो आएँगे.
वाह
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील बाबू !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/02/2019 की बुलेटिन, " बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
मेरी रचना को 'ब्लॉग बुलेटिन'में सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद शिवम् मिश्रा जी. आप सबको भी वसंत पंचमी की बधाई और शुभकामनाएँ ! ईश्वर से प्रढ़ना है कि माँ सरस्वती की कृपा आप पर यूँ ही बनी रहे.
जवाब देंहटाएंज़ुल्म-सितम का दमन चक्र, हर सच्चे पर चलवाएंगे,
जवाब देंहटाएंपाप अगर हद पार कर गए, अर्ध-कुम्भ हो आएँगे.
सही तो है भाई जी , और कुम्भ होता किसलिए है ? पाप धुलते हैं वहां हमने बचपन से यही सुना है !
सतीश जी, मेरा मन तो करता है कि संगम में इन पाप धोने वाले बगला-भक्तों को गहरे पानी में ले जाकर डुबा दूं पर क्या करूं, एक-एक पापी को डूबने से बचाने के लिए सरकार ने दो-दो गोताखोर तैनात कर रक्खे हैं.
हटाएंऔर कुंभ में स्नान कर गंगा और मैली कर आयेंगे।
जवाब देंहटाएंसमय परक तंज लिये करारा व्यंग।
धन्यवाद मन की वीणा !
हटाएंइन पापियों के कुकर्मों से दुखी होकर सरस्वती तो अंतर्ध्यान हो ही गईं हैं और अब इसी कारण गंगा-यमुना भी विलीन होने की कगार पर हैं.
वाह !!बहुत ख़ूब सर 👌👌
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद अनीता जी. इन ढोंगियों को देखकर मेरा खून खौलने लगता है और फिर अनायास ही दिमाग में कुछ पंक्तियाँ उभरकर कविता का रूप ले लेती हैं.
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