रविवार, 10 फ़रवरी 2019

संगम-स्नान


संगम-स्नान

एक झूठ ढकने की खातिर, सौ-सौ झूठ बनाएँगे,

झूठ अगर जो पकड़े उसको, फांसी पर चढ़वाएँगे.

राम राज्य में हर सीता को, निष्कासित करवाएँगे,

घर के भेदी खोज-खोजकर, सिंहासन दिलवाएँगे.

इज्ज़त, अक्ल ताक पर रख दें, वहीं भक्त कहलाएंगे,

ख़ुद ज़मीर को बेच धनी हों, वही मंत्रि-पद पाएंगे.

ज़ुल्म-सितम का दमन चक्र, हर सच्चे पर चलवाएंगे,

पाप अगर हद पार कर गए, अर्ध-कुम्भ हो आएँगे.         

10 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/02/2019 की बुलेटिन, " बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. मेरी रचना को 'ब्लॉग बुलेटिन'में सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद शिवम् मिश्रा जी. आप सबको भी वसंत पंचमी की बधाई और शुभकामनाएँ ! ईश्वर से प्रढ़ना है कि माँ सरस्वती की कृपा आप पर यूँ ही बनी रहे.

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  3. ज़ुल्म-सितम का दमन चक्र, हर सच्चे पर चलवाएंगे,
    पाप अगर हद पार कर गए, अर्ध-कुम्भ हो आएँगे.

    सही तो है भाई जी , और कुम्भ होता किसलिए है ? पाप धुलते हैं वहां हमने बचपन से यही सुना है !

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    1. सतीश जी, मेरा मन तो करता है कि संगम में इन पाप धोने वाले बगला-भक्तों को गहरे पानी में ले जाकर डुबा दूं पर क्या करूं, एक-एक पापी को डूबने से बचाने के लिए सरकार ने दो-दो गोताखोर तैनात कर रक्खे हैं.

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  4. और कुंभ में स्नान कर गंगा और मैली कर आयेंगे।
    समय परक तंज लिये करारा व्यंग।

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    1. धन्यवाद मन की वीणा !
      इन पापियों के कुकर्मों से दुखी होकर सरस्वती तो अंतर्ध्यान हो ही गईं हैं और अब इसी कारण गंगा-यमुना भी विलीन होने की कगार पर हैं.

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    1. धन्यवाद अनीता जी. इन ढोंगियों को देखकर मेरा खून खौलने लगता है और फिर अनायास ही दिमाग में कुछ पंक्तियाँ उभरकर कविता का रूप ले लेती हैं.

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