सन चौबिस का जंजाल गया,
हाथापाई का साल गया,
धक्कामुक्की का साल गया,
दोषारोपण का साल गया.
रोहित सा कोई फ़ेल न हो,
निर्दोषों को फिर जेल न हो,
रेवड़ी बाँट का खेल न हो,
दल-बदलू रेलमपेल न हो.
चहुँदिस गुकेश का मान बढ़े,
हम्पी की हर कोई चाल पढ़े,
बुमरा की बॉलिंग शीर्ष चढ़े,
नित दीप्तिमान इतिहास गढ़े.
अब महंगाई का राज न हो ,
फ़िरको में बंटा समाज न हो,
रिश्वत से कोई काज न हो,
संस्तुति का भ्रष्ट रिवाज न हो.
अनपढ़ को विद्या भा जाए,
इंसाफ़ दलित भी पा जाए,
सुख-शांति देश में छा जाए,
अब राम-राज्य फिर आ जाए.
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 02 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
मेरी कविता को 'पांच लिंकों का आनंद' के 2 जनवरी, 2025 के अंक में सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद रवीन्द्र सिंह यादव जी.
हटाएंतथास्तु
जवाब देंहटाएंशुभ विचारों के साथ नववर्ष का शुभागमन हो.
सादर प्रणाम.
नववर्ष आप सबके लिए भी मंगलमय हो मीना जी.
हटाएं'तथास्तु' के बाद - ????????? आ रहे हैं, उन्हें कैसे हटाया जाए?
वाह | नव वर्ष मंगलमय हो |
जवाब देंहटाएं'वाह' के शुक्रिया दोस्त !
हटाएंभगवान से प्रार्थना है कि नव-वर्ष तुम सबके लिए ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ ले कर आए.
अब महंगाई का राज न हो
जवाब देंहटाएंफ़िरको में बंटा समाज न हो
रिश्वत से कोई काज न हो
संस्तुति का भ्रष्ट रिवाज न हो....अद्भुत परंतु यह एक सुहाना सपनाभर है...भ्रष्टाचार तो रग रग में बह रहा है सर
अलकनंदा, अभी तक सुहाना सपना देखने पर कोई टैक्स नहीं लगा है.
हटाएंकल को इस पर टैक्स लग भी सकता है.
हमने सोचा -
चलो हम ख़ुद एक सुहाना सपना देखते हैं और उसे अपने पाठकों को भी निशुल्क दिखा देते हैं.
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंनववर्ष की शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद अलकनंदा !
हटाएंनव-वर्ष तुम सबके लिए भी मंगलमय हो.
आपकी लिखी हर पंक्ति सच हो जाये सर।
जवाब देंहटाएंसकारात्मक और स्वप्निल सुंदर अभिव्यक्ति।
प्रणाम सर।
नववर्ष २०२५ शुभ और मंगलमय हो।
सादर।
नववर्ष तुम सबके लिए मंगलमय हो श्वेता.
हटाएंहमारे मन के लड्डुओं को तुमने पहले से भी अधिक मीठा बना दिया है.
आमीन, नव वर्ष शुभ हो !
जवाब देंहटाएंनववर्ष आप सबके लिए भी मंगलमय हो अनिता जी.
हटाएं'आमीन' तो ठीक है पर हमारी अरदास तो अपने विधायक तक और अपने सांसद तक, नहीं पहुँचती, वह ऊपर वाले तक कैसे पहुंचेगी?