भारत में गणतंत्र की स्थापना की 75 वीं वर्षगाँठ पर महाकवि दिनकर की अमर रचना – ‘श्वानों को मिलता दूध-वस्त्र -----‘ से प्रेरित एक आम भारतीय की व्यथा-कथा -
गणतंत्र दिवस की झांकी में
उन्नत भारत दिखलाते हैं
भारत में भूखे-नंगों की
क्या संख्या कभी बताते हैं
दिनकर तो जा पहुंचे स्वर्गलोक
धरती से टूटे नाते हैं
पर मज़लूमों की क़िस्मत में
अब भी बस झूठी बातें हैं
निर्धन पर कर की चोट लगे
धनिकों के लिए सौगाते हैं
गणतंत्र दिवस का उत्सव पर
अपनी तो काली रातें हैं
शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंजय हिन्द ! अमर रहे गणतंत्र हमारा !
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंभारत में भूखे नंगे यदि अब भी हैं तो इसके ज़िम्मेदार हम सभी हैं केवल सरकार नहीं, क्यूँकि सरकार को जनता ही चुनती है
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