रविवार, 1 नवंबर 2020

शेर किसी और का, अंदाज़ अपना

चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें

चूल्हे पे क्या उसूल पकाएँगे शाम को

अदम गौंडवी

प्रगति-मार्ग –

चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें

कुर्सी-तलक यही हमें पहुँचाएं सीढ़ियाँ

इक बार मौक़ा जो मिले इतना बटोर लो

अम्बानी-अडानी सी जियें सात पीढ़ियाँ

 

यहाँ हर शख्स बस ये चाहता है

मिलाएं सब घड़ी मेरी घड़ी से

दानिश ज़ैदी

जनतंत्र के संरक्षकों का सपना –

 ये है जनतन्त्र पर दिल चाहता है

मिलाएं सब घड़ी मेरी घड़ी से

इबादत ही मेरी काफ़ी नहीं है

मुहब्बत भी करें मेरी छड़ी से 

17 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !
    मुहब्बत भी करें मेरी छड़ी से !!!

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद मीना जी.
      लूटने-पीटने वाले से मुहब्बत करने का अपना मज़ा है.

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  2. 'पांच लिंकों का आनंद' के 2-11-20 के अंक में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद कुलदीप ठाकुर जी.

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  3. प्रशंसा के लिए धन्यवाद डॉक्टर रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' !

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    1. मेरी काव्यात्मक गुस्ताखी की प्रशंसा के लिए धन्यवाद विभा जी.

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  5. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार 3-11-2020 ) को "बचा लो पर्यावरण" (चर्चा अंक- 3874 ) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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    1. 'बचा लो पर्यावरण' (चर्चा अंक - 3874) में प्रदूषित राजनीतिक पर्यावरण पर लिखी गयी मेरी गुस्ताखी को सम्मिलित करने लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कामिनी जी.

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    1. प्रशंसा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद अमृता तन्मय !

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  7. कड़वी वास्तविकता के दर्शन कराती सुंदर रचना।

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद ज्योति.
      जब भी मैं कोई अच्छी रचना पढता हूँ, मेरा खुराफाती दिमाग उसे फ़ौरन सियासती व्यंग्य का मोड़ देने की सोचने लगता है.

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