शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2021

आर्यन भैया छूटेंगे

इस से बड़ी खुशखबरी और क्या हो सकती है कि भैया आर्यन जेल से छूटने वाले हैं.
सुना है कि श्री राम जब चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तो पहली बार दीपोत्सव का आयोजन हुआ था.
अब 26 दिन या 27 दिन बाद भैया जी की घर वापसी होगी तो एक नए दीपोत्सव का आयोजन किया जाना तो बनता है.
मेरा तो सुझाव है कि इस बार दीपावली हम आर्यन भैया की रिहाई के दिन ही मना लें न कि अमावस्या होने का इंतज़ार करें.
वैसे भी पेट्रोल-डीज़ल के नित बढ़ते दामों की वजह से हमारे बजट को तो रोज़ ही अमावसी रात के अँधेरे का सामना करना पड़ता है.
हमको मीडिया के उथलेपन पर क्षोभ होता है. फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन तो हमने सुना था लेकिन फ्रीडम ऑफ़ ख़ुशामद करना, फ्रीडम ऑफ़ दुम हिलाना, फ्रीडम ऑफ़ तलुए चाटना या फिर फ्रीडम ऑफ़ सनसनीखेज़ झूठी और बेकार ख़बरें देना, के बारे में इसी मीडिया ने हमारे ज्ञान-चक्षु खोले हैं.
हम मीडिया के शुक्रगुज़ार हैं कि वह हमारे आर्यन भैया के हर पल की प्रामाणिक ख़बर हमको दे रहा है.
बंदी-गृह में दुखी आर्यन खान के आंसुओं का ही नहीं, बल्कि शाहरुख़ खान की और गौरी खान की आँखों में आए एक-एक आंसू का भी हमको आँखों देखा हाल मिल रहा है.
अब इस आंसू बहाने वाली लिस्ट में आर्यन खान की परदेस में रह रही बहन सुहाना खान और उनके छोटे भाई अबराम खान भी शामिल कर लिए गए हैं.
आर्यन खान और अबराम खान के पुनर्मिलन के दृश्य के सामने तो राम-भरत मिलाप का सीन भी पानी भरेगा.
आज के बच्चों को हमारे राष्ट्रपिता का या हमारे राष्टपति का, नाम भले न पता हो लेकिन उन्हें समीर वानखेड़े, नवाब मलिक और अनन्या पांडे के नाम ही क्या, उनकी एक-एक कारस्तानी की भी पूरी जानकारी है.
हमारे एंटरटेनमेंट चैनल्स भूतपूर्व नशेड़ी संजू बाबा उर्फ़ संजय दत्त को महानायक के रूप में प्रस्तुत कर उन से उनके नशेड़ी जीवन के साहसिक अभियानों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं.
कोई देशभक्त तो उनके जीवन पर एक फ़िल्म भी बना देता है जो कि सुपर हिट हो जाती है.
प्रमोद महाजन के सुयोग्य पुत्र राहुल महाजन अपने पिता की मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद अपना गम ग़लत करने के लिए एक चरसिया-कोकीन पार्टी का आयोजन करते हैं जिसमें कि एक शख्स की ड्रग्स की ओवर-डोज़ लेने से मौत हो जाती है लेकिन हमारे इस पप्पू बेटे को मीडिया हाथों-हाथ लेता है और टीवी पर एंटरटेनमेंट चैनल्स उसे बार-बार बुला कर हमारा मनोरंजन करते हैं.
आए दिन रेव पार्टीज़ आयोजित करने वाले और अपनी आधा दर्जन प्रेमिकाओं को गच्चा देने वाले सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को राष्ट्रीय शोक घोषित करने वाला और आगामी बिहार-चुनाव के मद्दे-नज़र उसे महानायक और शहीदे आज़म बनाने वाला भी यही मीडिया था.
अमिताभ बच्चन जब एक के बाद एक फ़िल्म में सोना उगल रहे थे तो एक बार अभिनय सम्राट जम्पिंग जैक जीतू भाई से किसी ने पूछा था कि वो अमिताभ बच्चन के बाद किस हीरो को दूसरे नंबर पर रखते हैं.
जीतू भाई ने जवाब दिया था –
‘नंबर एक से लेकर नंबर दस तक तो अमिताभ बच्चन ही सुपर स्टार हैं. उनके बाद आप ग्यारहवें नंबर पर किसी भी हीरो को रख लीजिए.’
तो मित्रों ! इन दिनों नंबर एक से लेकर नंबर दस तक तो आर्यन खान ही हमारी ख़बरों के सुपर स्टार हैं.
उनके बाद आप ग्यारहवें नंबर की ख़बर पर रोज़-रोज़ बढ़ती महंगाई, अनंत काल तक चलते रहने वाले किसान आन्दोलन, चुनावी दंगल, पेगासस जासूसी काण्ड या किसी और मुद्दे को रख सकते हैं.
कोई तुलसी दास थे जिन्होंने किसी श्री राम की अयोध्या वापसी से पूर्व उनकी माता कौशल्या की उत्कंठा, उनकी आतुरता और बेटे से फिर से मिलने की उनकी व्याकुलता, पर एक पद की रचना की थी जिसमें कि वो मुंडेर पर बैठे कागा से अपने बेटे के आने की वेला के बारे में पूछती हैं –
‘बैठी सगुन मनावत माता !
कब ऐहैं मोरे बाल कुसल घर कहहु काग पुर बासा ’
आज माता गौरी खान की ऐसी ही मनोदशा पर गोस्वामी गोपेश जैसवाल कहते हैं –
‘सगुन मनावत गौरी माता !
‘कब ऐहैं मोरे आर्यन बिटवा कहहु मीडिया भ्राता !’

15 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय सर 🙏
    पहले तो, आखिरी की बारह पंक्तियों में आई हँसी के लिए आपका बहुत शुक्रिया 😀😀
    वैसे तो आपका हर लेख मुस्कान लाने में सक्षम होता है, पर ये" गोस्वामी गोपेश जैसवाल" तो दो मिनट हँसा गया, मेरे बेटे को भी बड़ा मज़ा आया, बहुत आभार आपका ।
    आख़िर आज के समय में किसी को हंसाना भी बड़ा काम है, आपको मेरा सादर नमन 🙏🙏

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद जिज्ञासा ! गोस्वामी गोपेश जैसवाल चाहते हैं कि यह स्वार्थी-मूल्यहीन-अवसरवादी मीडिया किसी दूसरे गृह पर जा कर बस जाए. हमको खुद पर गुस्सा आता है कि हम कैसे ऐसे नराधमों को अब तक सहन करते आ रहे हैं.

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  2. 'मनःस्थिति' (चर्चा अंक - 4232) में मेरे आलेख को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद अनीता !

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  3. इन दिनों नंबर एक से लेकर नंबर दस तक तो आर्यन खान ही हमारी ख़बरों के सुपर स्टार हैं. बहुत ही सटीक बात। हमारी मीडिया कब किसे हीरो यस झीरो बना दे ये बात शायद उसे खुद को भी पता नही चलती होगी।

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    1. ज्योति, मीडिया तो नेताओं, उद्योगपतियों और माफ़ियाओं के हाथों की कठपुतली बन चुका है और उन्हीं के इशारे पर सनसनीखेज़ झूठी-आधी सच्ची ख़बरें हमको सुनाता-दिखाता रहता है.
      अब तो इस से कोसों दूर रहने में ही हमारी भलाई है.

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  4. चौथे स्तंभ की धज्जियां उड़ा दी आपने
    सच में क्षोभ होता है
    24 घंटे विज्ञापन से कमाना है तो ताल ठोकवा लो
    और नेताओं को लड़ा दो
    आ0 हार्दिक बधाई

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    1. तारीफ़ के लिए शुक्रिया अनिता सुधीर.
      देशभक्ति के नाम पर धांधलियां, साजिशें, हेरा-फेरी और अनाचार-अत्याचार देख-देख कर हमने अपने सर के बाल पहले सफ़ेद किए और फिर गायब भी कर लिए लेकिन स्थिति बाद से बदतर ही होती चली गयी.
      आज का सत्य है - मीडिया जब बिकता है तब टिकता है.

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  5. चलिए दीपोत्सव का एक बहाना मिला।😀
    वैसे धारदार व्यंग्य है।
    सटीक रचना।

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद कुसुम जी !
      हम-आप-सब, बिना मधुशाला जाए ही दिन को होली, रात दिवाली मनाएं, यही कामना है.

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  6. धारधार व्यंग्य रचना... आज के समाज में फिल्म स्टार किसी डेमीगॉड से कम थोड़े न हैं... चैनल्स तो टीआरपी चाहिए और दर्शकों को ड्रामा... दोनों को ही मन चाहे मुराद आर्यन के कारण मिल रही है...

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    1. बिलकुल सही कहा आपने विकास नैनवाल ;अंजान' !
      चैनल्स वाल जानते हैं कि हमको फ़िल्मी सीटों की झूठी-सच्ची सनसनीखेज़ ख़बरें देखना-सुनना पसंद है इसलिए वो हमको वही दिखाते हैं, वही सुनाते हैं.

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  7. वाह!!!
    लाजवाब एवं मजेदार सृजन...।

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    1. मेरे आलेख की प्रशंसा के लिए धन्यवाद सुधा जी.
      मेरी कलम का उद्देश्य अपने सुधी पाठकों के होठों पर मुस्कान देखना ही रहता है.

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