कल मेरा जन्मदिन था. सबसे पहले आदतन श्रीमती जी ने मुझे बेड टी के साथ बधाई दी. यह बधाई मीठी थी लेकिन इस से बहुत ज़्यादा मीठी बधाइयां थीं – मेरे नाती अमेय की, मेरी दो नातिनों इरा और आसावरी उर्फ़ सारा की.
पौने दो साल की सारा तो पहली बार हमारे घर आई हैं. सारा का बर्थ डे बेबी को बधाई देने का तरीक़ा उसे पुच्ची देने का होता है लेकिन इसके लिए वो सुपात्र के सामने खुद अपना गाल आगे कर देती हैं.
सच में, बच्चों का साथ मिल जाए तो हम खुद को कभी बूढ़ा महसूस नहीं करते.
वैसे भी 71 साल की उम्र में कोई बूढ़ा थोड़ी हो जाता है. कहावत – ‘साठे पर पाठा’ होने की है तो इस हिसाब से मुझे पाठा हुए कुल जमा 11 साल ही हुए हैं. सही ढंग से मेरी मूंछे उगना तो अभी-अभी शुरू हुई हैं.
मेरी जवानी बच्चों के जन्मदिन पर उनको छोटे-छोटे उपहार देने में और मेरी श्रीमती जी की उनके लिए मनपसंद स्वादिष्ट पकवान बनाने में गुज़री है लेकिन अब कमाऊ बच्चों से अपने जन्मदिन पर बड़े-बड़े उपहार मिल रहे थें और घर में ऑनलाइन केक मंगा कर मुझ से कटवाया जा रहा था,फ़ोटो सेशंस हो रहे थे, श्रीमती और बेटियां ही नहीं, नातिनें भी बधाई गीत गा रही थीं.
टीवी पर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ देखना हमारे लिए एक फ़र्ज़ सा बन गया है लेकिन कल अमिताभ बच्चन को भी हमने टाटा कर दिया. उधर बिग बी दूसरों के बच्चों के साथ ख़ुश थे तो इधर हम अपने बच्चों के साथ ख़ुश थे.
मेरी याददाश्त में मैंने इस से ख़ूबसूरत और ख़ुशगवार जन्मदिन कभी नहीं मनाया.
अब तो तीन दिसंबर की सुबह है. आज का दिन कल के दिन से बहुत भिन्न है.
प्रातः काल से ही श्रीमती के ताने-उलाहने और बेटियों के प्रवचन प्रारंभ हो गए हैं.
मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा कि कल का सुपर-हीरो इतनी जल्दी आज का खलनायक कैसे बन गया.
यह तो बात हुई अब वाले जन्मदिन की. तब वाले जन्मदिन यानी कि मेरे बचपन वाले जन्मदिन इस अब वाले जन्मदिन से थोड़े अलग हुआ करते थे.
माँ – ‘उठो लाल अब आँखें खोलो’ गाते हुए और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मुझे जगाती थीं (हमारे बचपन में हमारे विक्टोरियन मॉरालिटी के अनुयायी माता-पिता से हमको पुच्चियाँ नहीं मिला करती थीं).
मेरे तकिए के नीचे दो रूपये का एक कड़कड़ाता हुआ नोट रक्खा जाता था (उन दिनों हमारा पॉकेटमनी दो रुपया महीना होता था और जन्मदिन के अवसर पर हमको यह हमारे पॉकेटमनी के अतिरिक्त मिला करता था).
हम बच्चों के जन्मदिनों पर बाज़ार से पकवान मंगाए जाने की परंपरा नहीं थी. माँ ख़ुद हमारे लिए आटे का हलवा बनाती थीं और हमारी पसंद के कुछ अन्य पकवान भी तैयार करती थीं.
पिताजी को तो प्यार का इज़हार करना आता ही नहीं था. अपने जन्मदिन पर जब हम उनके पैर छूते थे तो एक हल्की सी मुस्कान के साथ उनका - ‘ख़ुश रहो !’ कहना हमारे लिए काफ़ी हुआ करता था.
हम भाई-बहन आपसी खुंदकों को याद करते हुए जन्मदिन पर एक-दूसरे को आमतौर पर बधाई नहीं दिया करते थे.
अपने जन्मदिन पर मुझ महा-ऊधमी को कैसी भी शैतानी करने पर माँ की और भाई-बहन की पिटाई और डांट से मुक्ति मिल जाती थी.
यह बात और थी कि जन्मदिन के आने वाले दिनों में अपने जन्मदिन पर की गयी मेरी शरारतों को याद कर के हमारी ममतामयी मातेश्वरी और रहमदिल भाई-बहन मेरी अतिरिक्त पिटाई कर के मेरे पिटाई-मुक्त दिवस की भरपाई कर लिया करते थे.
हाँ, हमारे गांधीवादी पिताजी ज़रूर मेरे जन्मदिन के बाद वाले दिनों में भी अहिंसा का दामन नहीं छोड़ते थे.
हमारे बचपन में हमारा जन्मदिन वह शुभ दिन होता है जिसकी कि हम साल के 364 दिन प्रतीक्षा करते हैं लेकिन हमारे बुढ़ापे में यह हमको इशारा करता है कि हमारा ऊपर का टिकट कटने का दिन अब नज़दीक है.
बचपन में जन्मदिन के बाद वाले दिनों की अतिरिक्त पिटाई और बुढ़ापे में जन्मदिन के बाद के दिनों में अतिरिक्त तानों और उपदेश को भुला दिया जाए तो जन्मदिन मेरे लिए हमेशा से स्पेशल रहा है.
तो एक बार मैं ख़ुद को थोड़ी देर से ही सही – जन्मदिन की बधाई देता हूँ –
जन्मदिन मुबारक हो जैसवाल साहब ! आप स्वस्थ रहें, सपरिवार प्रसन्न रहें ! ईश्वर से प्रार्थना है कि खुद बिना कष्ट पाए और दूसरों को बिना कष्ट दिए आराम से, निर्विघ्न, निर्विवाद, आपका ऊपर का टिकट कटे !
जन्मदिन की बधाई स्वीकारें सर ! पढ़ते-पढ़ते लगा हम भी पार्टी में सम्मिलित हो गए । आप स्वस्थ रहें, सपरिवार प्रसन्न रहें ।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिए धन्यवाद मीना जी.
जवाब देंहटाएंआप हमारे घर आ कर हमारे बच्चों के साथ पार्टी में शामिल हो जाइए.
आपको आनंद आएगा, इसकी मैं गारंटी देता हूँ.
हैप्पी बर्थ डे नाना जी दादा जी अंकल जी जो भी आप हैं जी खुश रहें जी सवस्थ रहें जी :)
जवाब देंहटाएंमित्र, तुम्हारे जैसे मित्रों की दुआएं भी बच्चों की दुआओं में अगर शामिल हो जाएँ तो फिर हम गारंटी के साथ ख़ुश रहेंगे और स्वस्थ भी रहेंगे.
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०४-१२ -२०२१) को
'हताश मन की व्यथा'(चर्चा अंक-४२६८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
'हताश मन की व्यथा' (चर्चा अंक - 4268) में मेरे संस्मरण को सम्मिलित करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता.
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, गोपेश भाई।
जवाब देंहटाएंजन्मदिन की बधाई के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति !
हटाएं👏👏👏 जन्मदिन पर बहुत सुंदर, भावपूर्ण और आत्मीय अभिव्यक्ति, अभी तो आपकी नाती नातिनो के साथ एक खुशनुमा पारी शुरू हुई है,उसका आनंद लें तथा कामना है, कि आप अच्छे स्वास्थ्य के साथ अपना शतक पूरा करें और हमें प्रेरित करते रहें, एक बार फिर जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐🙏🙏
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिए धन्यवाद जिज्ञासा. बच्चों के साथ भरपूर आनंद मनाया जा रहा है. उनके साथ पूरे दिसंबर बहार है और फिर वही हम दो मियां-बीबी -- लेकिन छोड़ो, अभी तो मौज ही मौज है.
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, जन्मदिन मुबारक हो
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिए और मेरे संस्मरण की प्रशंसा के लिए धन्यवाद भारती जी.
हटाएंबात कहने का अंदाज़ निराला ।
जवाब देंहटाएंमज़े-मज़े में बहुत कुछ कह डाला!
वाह !
मेरी कलम के अंदाज़ की तारीफ़ के लिए शुक्रिया नूपुरं जी.
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