मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

आज दुष्यंत कुमार होते तो यही कहते

 

इस चुनावी माहौल में आप कहाँ हैं दुष्यंत कुमार?

1.    हो गयी है भीड़,

नेताओं की,

छटनी चाहिए,

बन गए जो ख़ुद, ख़ुदा,

औक़ात, घटनी चाहिए.

2.    कुम्हार (नेता) ! अब माटी (जनता) की बारी –

ज़ुल्म की काली, अँधेरी, रात,

ढलनी चाहिए,

मुझको अब छाती पे तेरी,

दाल दलनी चाहिए.

3.    भैंस मौसी की उपयोगिता -

अक्ल के पीछे पड़े हैं,

लट्ठ ले कर देशभक्त.

इन के घर में गाय क्या,

बस, भैंस पलनी चाहिए.

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-12-2021) को चर्चा मंच       "भीड़ नेताओं की छटनी चाहिए"  (चर्चा अंक-4293)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. मेरी व्यंग्य-रचना को 'नेताओं की छटनी चाहिए' (चर्चा अंक - 4293) में सम्मिलित करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक' !

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  3. उत्तर
    1. जिज्ञासा, बढ़िया तो दुष्यंत कुमार कहते थे. मैं तो घटिया लोगों के बारे में कहता हूँ.

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  4. उत्तर
    1. प्रशंसा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आलोक सिन्हा जी.

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