कुछ तो
होते हैं मुहब्बत में जुनूं के आसार,
और कुछ
लोग भी, दीवाना
बना देते हैं
(ज़हीर
देहलवी)
संशोधित
शेर –
कुछ तो
होते हैं सियासत में, ठगी के आसार,
और
कुर्सी की ललक, चोर बना देती है.
चेतावनी –
संशोधित शेर को आज के सन्दर्भ में देखने वाले को पाप लगेगा.
कल की बात -
मुहब्बत के लिए, कुछ ख़ास दिल, मख्सूस होते हैं,
ये वो नग्मा है जो, हर साज़ पे, गाया नहीं जाता.
आज की बात -
सियासत के लिए कुछ बेशरम, मख्सूस होते हैं,
ये चिकना घड़ा, हर हाट में, पाया नहीं जाता.
(मख्सूस - विशिष्ट)
पाप तो वैसे ही लग रहा है :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया ।
सियासतदानों को पाप लगे या न लगे पर हमको चूना ज़रूर लग रहा है.
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