महाकवि दिनकर से क्षमा-याचना के साथ -
राज्यसभा के रत्न, उड़ चले, बिना चुकाए, ऋण-अनमोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
देशभक्ति का जो प्रमाण दें, स्विस
बैंकों में खाते खोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
बत-रस में जो सदा मिलावें, छल-प्रपंच का मीठा घोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
फांसी लटकें, लाख कृषक पर, कभी न
होवें, डांवाडोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
‘काला धन, लाएंगे वापस’, खोल गए कह,
अपनी पोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
भारत माता, राम, गाय, को बेचें, बिना
तराजू, तोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व गौरैया दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद हर्षवर्धनजी. आप विधिवत बुलाएंगे तो मैं ज़रूर आऊँगा.
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