बुधवार, 6 सितंबर 2017

विनम्र श्रद्धांजलि गौरी लंकेश -

ज़ुल्म की हर इंतिहा, इक हौसला बन जाएगी,
और खूंरेज़ी मुझे, मंज़िल तलक पहुंचाएगी,
छलनी-छलनी कर दिया सीना मेरा तो क्या हुआ?
ये शहादत, कौम को, जीना सिखाती जाएगी.

आज अगर श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान होती तो कहतीं -

जाओ गौरी याद रखेंगे, हम कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा, स्वतंत्रता अविनासी. 

11 टिप्‍पणियां:

  1. श्रद्धाँजलि । वैसे भी कलमें तोड़ने का जमाना आ गया है ।

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    1. सुशील बाबू, दिल टूटा हुआ है. केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार का नाकारापन क्रोध भी उत्पन्न करता है पर हम सब अर्ध-नपुंसक दिवंगत को श्रद्धांजलि देने के अलावा और कर भी क्या सकते हैं?

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  2. नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 07 -09 -2017 को प्रकाशनार्थ 783 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।

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    1. धन्यवाद श्री रवीन्द्र सिंह यादव. 'पांच लिंकों का आनंद' के माध्यम से गौरी लंकेश के प्रति मेरी विनम्र श्रद्धांजलि सुधीजन तक पहुंचेगी, इसका मुझे संतोष है.

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  3. सर्वप्रथम ,शहीद "गौरी लंकेश" को शत -शत नमन ,हृदय द्रवित हुआ क्षण भर परन्तु मष्तक आकाश से ऊंचा ,आज वक्त आ गया अपनी क़लम से देश की पृष्ठभूमि बदलने का , मूक -बधिर आवाम को जागृत करती रचना ,साधुवाद आदरणीय ,आभार "एकलव्य"

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    1. धन्यवाद ध्रुव सिंह 'एकलव्य' जी. मेरी रचना से अगर किसी का सोया ज़मीर जागता है या खोया हुआ साहस वापस आता है और वह अपने भले-बुरे की चिंता किए बगैर अन्याय का विरोध करता है तो मैं समझूंगा कि मेरी कलम ने अपना काम बखूबी कर दिया है.

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    1. जुझारू ज़िन्दगी जीने वाली और जुझारू विचार ब्यक्त करने वाली वीरांगना की वीरगति पर हम सबकी विनम्र श्रद्धांजलि

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  5. आपकी रचना एक आंदोलन छेड़ने के लिये उद्वेलित करती है.यह समय चुप बैठने का नहीं है.हम सबको समय की मांग पर आवाज़ उठानी ही होगी. बेहतरीन रचना.

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    2. धन्यवाद अपर्णा जी. ज़ुल्म का पैमाना भरेगा तो फिर छलकेगा भी और उसके छलकते ही आन्दोलन भी होगा और क्रान्ति भी. कभी तो महाकवि दिनकर का स्वप्न साकार होगा, कभी तो जनता के लिए अत्याचारी शासक को सिंहासन खाली करना होगा.

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