चंद ‘हाय क्यूं?’ (अब हायकू के बारे में तो हमको कुछ पता नहीं है)
1. आपके भाषण उसे
सुनने पड़े थे रात दिन
केस हिस्ट्री में ह्रदय रोगी ने बतलाया हमें.
1. आपके भाषण उसे
सुनने पड़े थे रात दिन
केस हिस्ट्री में ह्रदय रोगी ने बतलाया हमें.
2. भाईचारे के नए
आदर्श स्थापित किए
ताकि चौराहे पे भूने, भाई अपने भाई को.
3. हम तरक्क़ी की बुलंदी पर
पहुँच ही जाएंगे
पर मिटाने भूख, लंगर की शरण ही जाएँगे.
4. सांस लेने पर अगर,
जीएसटी लग जाएगी,
दम के घुटने से मरे कितने, ख़बर नित आएगी.
आदर्श स्थापित किए
ताकि चौराहे पे भूने, भाई अपने भाई को.
3. हम तरक्क़ी की बुलंदी पर
पहुँच ही जाएंगे
पर मिटाने भूख, लंगर की शरण ही जाएँगे.
4. सांस लेने पर अगर,
जीएसटी लग जाएगी,
दम के घुटने से मरे कितने, ख़बर नित आएगी.
वाह ! बढ़िया "हाय क्यूँ"
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है कि जापानी विधा हायकू का ये भारतीय वर्जन बेहतर है !!! स्वदेशी ही क्यों ना अपनाएँ ?
धन्यवाद मीनाजी, आक़ाओं ने अबतक ऐसा तो कोई काम किया नहीं कि 'वाह क्यूं?' लिखा जाय. इसलिए 'हाय क्यूं' से काम चला रहा हूँ.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हाइकु:-)
जवाब देंहटाएंमेरे इस प्रयास की प्रशंसा करने के लिए धन्यवाद मीना जी.
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, पॉवर पॉईंट प्रेजेंटेशन - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 12 जुलाई 2018 को प्रकाशनार्थ 1091 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
धन्यवाद रवीन्द्र सिंह यादव जी. ये सब आपकी सोहबत का असर है. 'हायकू' नहीं लिख पाया तो 'हाय क्यूं?' ही सही. मुझे 'पांच लिंकों का आनंद' के कल के अंक की प्रतीक्षा रहेगी.
हटाएंसादर नमन सर. आपका नया प्रयोग(हाय क्यूँ) पसंद किया जा रहा है. आप जो भी लिखें हमारा मार्गदर्शन होता रहता है.
हटाएंअपने बारे में एक प्रतिष्ठित साहित्यकार के इन विचारों को पढ़कर अगर मैं मधुमेह का पुराना रोगी, जश्न मनाने के लिए ढेर सारी मिठाई खा लूं तो इसका दोष किसके सर पर जाएगा?
हटाएंवाह्ह्ह... वाह्ह्ह...क्या शानदार तंज़ लिखें है सर।
जवाब देंहटाएंआपकी लेखन विधा की विविधताएं रोचकता पैदा करती है।
धन्यवाद श्वेता जी. मेरी बेटी गीतिका अपने साढ़े चार साल के बेटे अमेय का अक्सर मुझसे मुकाबला कर के इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि उसके पापा ही ज़्यादा नॉटी हैं.
हटाएंगजब।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील बाबू.
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद RPSMT 4D
जवाब देंहटाएंहाय क्यूं? जवाब नदारद!!
जवाब देंहटाएंपर लाजवाब है।
धन्यवाद कुसुम जी. 'हाय क्यूं' में तो सवाल ही उठाए जाएंगे. दुआ कीजिए कि दुनिया से उठने से पहले मुझे इन सवालों के जवाब मिल जाएं.
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