उसके काम न आड़े आओ, कफ़न सभी का सीने दो.
सदियों से उसके पुरखों ने, मुल्क को अपनी ख़िदमत दीं.
भेद-भाव के बिना सभी को, लूटा और फ़क़ीरी दीं.
उसे देश का दुश्मन कह के, मत उसका अपमान करो.
उसके दम पर चले हुकूमत, इस पर थोड़ा ध्यान धरो.
कितने मासूमों को उसने, दुनिया से आज़ाद किया.
लूटी अस्मत जिनकी उनको, रहने को बाज़ार दिया.
धर्म और मज़हब को उसने, लड़ कर जीना सिखलाया.
क्या गौतम का क्या गांधी का, प्रवचन काम नहीं आया.
कोरोना ने लीले कितने, ये बेकार फ़साना है.
सीमा पर दुश्मन मंडराए , मसला बहुत पुराना है.
अर्थ-व्यवस्था जीर्ण-शीर्ण पर, भारत स्वर्ग दिखाना है.
आज रिया है या सुशांत है, फिर चुनाव भी आना है.
कितने घर के दीप बुझ गए, मन्दिर दीप जलाना है.
वसुधा को कुटुंब क्यूं मानें, घर-घर सर फुटवाना है.
शहर-गाँव श्मशान बनें पर, आगे बढ़ते जाना है.
घर-घर क़ब्रिस्तान बनें पर, भारत पर्व मनाना है.
वाह-वाह...
जवाब देंहटाएंक्या करीने से कंकड़ उछाला है आपने
धन्यवाद डॉक्टर रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक'!
जवाब देंहटाएंकविता पोस्ट करने में कुछ तकनीकी समस्या आ रही है. अपनी बेटी से परामर्श कर इसमें कुछ सुधार करूंगा.
शमशान कर लें। लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंप्रशंसा के लिए धन्यवाद मित्र !
हटाएं'श्मशान' ही सही है तुम शब्दकोश देख लो.
जी देख लिया श्मशान ही सही है। आभार।
हटाएं'में तुम्हारी मौन करुणा का सहारा चाहता हूँ' (चर्चा अंक - 3831) मेरी कविता को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद मीना जी.
जवाब देंहटाएंप्रशंसा के लिए धन्यवाद हिंदी गुरु !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशब्द नहीं है सर क्या कहूँ ....घर के दीपक बुझ गए मन्दिर दीप जलाना है। यही दर्द मुझे भी खाता है।
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
अनिता. हम-तुम बेकार ही आक़ा की सदाशयता और संवेदनशीलता पर शक़ कर रहे हैं.
हटाएंये तो मानना पड़ेगा कि अंधेरी रात में नदी में तैरते हुए दीप बहुत सुन्दर लगते हैं.
अब हमारे अगल-बगल किस-किस के घर मातम पसरा है, इसे भूल कर इस दीपोत्सव का आनंद लिया जाए इसी में व्यावहारिक देशभक्ति है.
वाह! सार्थक व्यंग्य वाली रचना।
जवाब देंहटाएंप्रशंसा के लिए धन्यवाद प्रकाश साह जी.
जवाब देंहटाएंहे भगवान् !दंगाइयों का ये जीवन चरित्र आप ही लिख सकते हैं | सब कुछ करवाकर जो भारत पर्व मनाने में सबसे आगे रहते हैं | शानदार प्रस्तुति आदरणीय गोपेश जी |
जवाब देंहटाएंप्रशंसा के लिए धन्यवाद रेणु जी. आइये हम सब मिलकर प्रार्थना करें कि भगवान हमको ऐसे देशभक्तों से और उनके भारत-पर्वों से हमको बचाए.
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