मुल्क मेरी मिल्कियत, कुर्सी मेरा ईमान है,
हिर्सो-नफरत दीन तो, मेरा खुदा शैतान है.
लोग मुझको बे-वजह, कहते हैं क्यूँ सोज़े-जहाँ,
बस्तियां ही तो जलीं, गुलज़ार हर श्मशान है.
(मिल्कियत – संपत्ति, हिर्सो-नफरत – ईर्ष्या और घृणा,
सोज़े-जहाँ – दुनिया को आग लगाने वाला)
बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील बाबू.
हटाएंBhut badhiya
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