मौजूदा हालात के मद्देनज़र और जैसवाल साहब की सलाह मानकर, फैज़
अहमद फैज़ द्वारा अपनी मकबूल नज़्म में एक शेर का इज़ाफ़ा –
‘ऐसी महंगाई में, होटल में भला, क्यूँ जाएं?
यहीं नज़दीक की, मशहूर चाट, खा आएं.
मुझसे पहली सी मुहब्बत, मेरे मेहबूब न मांग --------’
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जवाब देंहटाएंon demand self publishing in india
ऐसी महंगाई में, होटल में भला, क्यूँ जाएं?
जवाब देंहटाएंयहीं नज़दीक की, मशहूर चाट, खा आएं.
बहुत खूब!
धन्यवाद कविताजी
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