बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

फैज़ साहब से क्षमा याचना के साथ

मौजूदा हालात के मद्देनज़र और जैसवाल साहब की सलाह मानकर, फैज़ अहमद फैज़ द्वारा अपनी मकबूल नज़्म में एक शेर का इज़ाफ़ा –
‘ऐसी महंगाई में, होटल में भला, क्यूँ जाएं?
यहीं नज़दीक की, मशहूर चाट, खा आएं.   

मुझसे पहली सी मुहब्बत, मेरे मेहबूब न मांग --------’

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