बुधवार, 24 दिसंबर 2014

समझौता


इस सियासत की तिजारत में सभी कुछ खोकर,
किसी जागीर, रियासत का, तलबगार नहीं।
हाँ! इलेक्शन में फिर इक बार जो मुंह की खाऊं,
मुझको ओहदा-ए-गवर्नर जो मिल जाये, तो इंकार नहीं।।

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आप अँधा कहें मुझको, कोई ऐतराज़ नहीं,
रेवड़ी-बाँट का ठेका, जो मुझे दिलवा दें.



गुरुवार, 2 अक्टूबर 2014

स्वच्छता दिवस



'ये गांधी नाम कुछ सुना- सुना सा लगता है.'
'ये इंदिरा गांधी के फादर थे क्या?'

'नहीं यार! वो तो पंडित नेहरू की बेटी थीं.'

'अरे हाँ! याद आया. इस पर तो सर एटनबरो ने बायोपिक बनाई थी,
जिसे कई ऑस्कर अवार्ड भी मिले थे. हैं न?'
'पर उसकी एनिवर्सरी को हम स्वच्छता दिवस के रूप में क्यों मना रहे हैं?'
'क्या केजरीवाल के हाथ से झाड़ू छीनने के लिए?'
'अच्छा ये बताओ क्या कैबिनेट में जमा कूड़ा-करकट भी साफ़ किया जायेगा?'
'और क्या कहते हैं. वो तुम्हारी राम तेरी गंगा मैली भी क्या साफ़ की जाएगी?'

'हाँ क्यों नहीं?
सब काम होगा पर इसमें थोड़ा वक़्त लगेगा।
सुप्रीम कोर्ट का अंदाज़ा है कि इसमें 200 साल तो लग ही जायेंगे।'

'अच्छा ये झाड़ू वाला छोड़ो, कोई संता-बंता वाला जोक सुनाओ ना!'



रविवार, 14 सितंबर 2014

हिन्दी दिवस


सूर की राधा दुखी, तुलसी की सीता रो रही है  ।
शोर डिस्को का मचा है, किन्तु मीरा सो रही है ।
सभ्यता पश्चिम की, विष के बीज कैसे बो रही है ,
आज अपने देश में, हिन्दी प्रतिष्ठा खो रही है ।।

आज मां अपने ही बेटों में, अपरिचित हो रही है ।
बोझ इस अपमान का, किस शाप से वह ढो रही है ।
सिर्फ इंग्लिश के सहारे भाग्य बनता है यहां ,
देश तो आज़ाद  है, फिर क्यूं ग़ुलामी हो रही है ।।



शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

राजनैतिक दोहे

राजनीति के चक्र की, गति समझे नहिं कोय ,
जो भी बोले सच यहां, अपनी गर्दन खोय ।
बुरा जो देखन मैं चल्या, बुरा न मिलिया कोय ,
जांच कमीशन में यहां, कालिख, चूना होय ।।