रिफ्रेशर कोर्स के लिए एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में मुझे जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. वहां देश के महान इतिहासकार, मेरे आदर्श, प्रोफ़ेसर एक्स से मिलने की आशा से मैं बहुत उत्साहित था. हम प्रशिक्षार्थियों का स्वागत करने के लिए स्वयं प्रोफ़ेसर एक्स उपस्थित थे. क्या शीरीं जुबान, क्या शराफत, क्या शाइस्तगी, क्या विश्वकोश के समान ज्ञान और उसपर ऐसी विनम्रता. मेरी हमेशा से ये आरज़ू थी कि मुझे प्रोफ़ेसर एक्स जैसा कोई गुरु मिले, अब बरसों बाद मेरी ये आरज़ू पूरी होने वाली थी. स्वागत समारोह के दौरान एक मैडम बहुत चहक चहक कर, ‘प्यार किया तो डरना क्या’ वाले अंदाज़ में प्रोफ़ेसर एक्स से बात कर रही थीं. अब इतनी कम उम्र की मैडम हमारे 60 साल के प्रोफ़ेसर साहब की बीबी तो लग नहीं रही थीं.
लखनऊ यूनिवर्सिटी में मेरे उस्ताद रह चुके प्रोफ़ेसर वाई अब इस विश्वविद्यालय की शोभा बढ़ा रहे थे. मैंने मैडम तथा प्रोफ़ेसर एक्स के सम्बन्ध के विषय में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया –
‘बरखुरदार ये बादशाह अकबर यानी तुम्हारे प्रोफ़ेसर एक्स की अनारकली हैं.’
मैंने अपने ऐतिहासिक ज्ञान को टटोलते हुए आपत्ति की –
‘सर, अनारकली तो सलीम की थी और बादशाह अकबर ने उसे दीवार में चुनवा दिया था.’
प्रोफ़ेसर वाई ने जवाब दिया –‘इस बार बादशाह अकबर ने अनारकली के सलीम के कैरियर को दीवार में चुनवाकर उसे शहर छोड़ने पर मजबूर कर दिया और अनारकली को अपना बना लिया है. तुम मैडम को पहचान नहीं रहे हो.ये मैडम जेड हैं.’
‘मैडम जेड? रेवेन्यू एडमिनिस्ट्रेशन पर सबसे बड़ी अथॉरिटी? ये प्रोफ़ेसर एक्स की अनारकली हैं?’
‘हाँ वही, पर इनकी सब किताबें और इनके सारे रिसर्च पेपर्स तुम्हारे प्रोफ़ेसर एक्स ने लिखे हैं. हमारे बादशाह अकबर और अनारकली के इश्क के चर्चे पिछले दस साल से सब की जुबान पर हैं लेकिन तुम्हारी जनरल नौलिज तो बहुत कमज़ोर लगती है. तुम बड़ी किस्मत वाले हो. अनारकली रोज़ तुम्हारा क्लास लेगी.’
मैंने पूछा – ‘पढ़ाती कैसा है?’
प्रोफ़ेसर वाई बोले – ‘अपने से पंद्रह सीनियर्स को सुपरसीड करके कम्बख्त प्रोफ़ेसर बनी है. पर जब इसका क्लास पढोगे तो नया तो क्या सीखोगे, अपना पुराना ज्ञान भी भूल जाओगे.’
मैंने पूछा –‘महारानी जोधा बाई बादशाह अकबर से अनारकली को लेकर कोई ऐतराज़ नहीं जतातीं?’
प्रोफ़ेसर वाई ने जवाब दिया – ‘वो बेचारी ऐतराज़ क्या जताएंगी आजकल तो बादशाह अकबर अनारकली की जगह उनको ही दीवार में चुनवाने की फिराक में रहते हैं.’
रिफ्रेशर कोर्स के दौरान हमलोगों को रोजाना मैडम जेड का बोरिंग, नोट्स लिखाने वाला लेक्चर सुनने की सजा दी जाती थी. क्लास में और क्लास से बाहर भी हमको डांटने-फटकारने और धमकाने का कोई भी मौका अनारकली मैडम हाथ से जाने नहीं देती थीं. उनसे पिटते-पिटते हम लोगों के सब्र का बाँध जब टूट गया तो उनकी शिकायत लेकर उनके बादशाह के पास पहुंचे. बादशाह अकबर ने अपनी अनारकली की ज्यादतियों के लिए हमसे माफ़ी मांगी, हमको आइसक्रीम खिलाई पर साथ ही साथ यह इशारा भी कर दिया कि हमको उनकी अनारकली की ज्यादतियों को कोर्स ख़त्म होने तक बर्दाश्त करना ही होगा. मैडम जेड उर्फ़ अनारकली के ज़ुल्मो-सितम के सामने घुटने टेकने के सिवा हमारे पास और चारा भी क्या था.
मैंने प्रोफ़ेसर वाई से इस मॉडर्न अनारकली को हम सब के रास्ते से हटाने के बारे में पूछा –
‘सर ! जनता की बेहद मांग पर क्या बादशाह अकबर को मजबूर नहीं किया जा सकता कि वो अनारकली को दीवार में चुनवाने का हुक्म फिर से सुना दे?’
प्रोफ़ेसर वाई ने मुझे समझाया – ‘अब बादशाह अकबर पूरी तरह से अनारकली के शिकंजे में है. अनारकली ने अपने खुद के आधा दर्जन सलीम पाल रक्खे हैं पर बादशाह अकबर अनारकली का कुछ भी बिगड़ नहीं पा रहे हैं.’
मैंने नाराजगी और हैरत जताते हुए कहा – ‘डीन और वाइस चांसलर कुछ एक्शन क्यों नहीं लेते? क्या उन्हें ये अंधेर दिखाई नहीं देता?’
जवाब मिला –‘डीन और वाइस चांसलर को ये अंधेर दिखाई तो देता है पर उन बेचारों को कोई भी एक्शन लेने की फुर्सत ही कहाँ है? बाजी राव बने हमारे डीन अपनी मस्तानी के साथ इश्क फरमाने में और विश्वामित्र बने हमारे वाईस चांसलर अपनी मेनका के साथ प्रेम की पींगे लेने में मसरूफ हैं.’
लखनऊ यूनिवर्सिटी में मेरे उस्ताद रह चुके प्रोफ़ेसर वाई अब इस विश्वविद्यालय की शोभा बढ़ा रहे थे. मैंने मैडम तथा प्रोफ़ेसर एक्स के सम्बन्ध के विषय में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया –
‘बरखुरदार ये बादशाह अकबर यानी तुम्हारे प्रोफ़ेसर एक्स की अनारकली हैं.’
मैंने अपने ऐतिहासिक ज्ञान को टटोलते हुए आपत्ति की –
‘सर, अनारकली तो सलीम की थी और बादशाह अकबर ने उसे दीवार में चुनवा दिया था.’
प्रोफ़ेसर वाई ने जवाब दिया –‘इस बार बादशाह अकबर ने अनारकली के सलीम के कैरियर को दीवार में चुनवाकर उसे शहर छोड़ने पर मजबूर कर दिया और अनारकली को अपना बना लिया है. तुम मैडम को पहचान नहीं रहे हो.ये मैडम जेड हैं.’
‘मैडम जेड? रेवेन्यू एडमिनिस्ट्रेशन पर सबसे बड़ी अथॉरिटी? ये प्रोफ़ेसर एक्स की अनारकली हैं?’
‘हाँ वही, पर इनकी सब किताबें और इनके सारे रिसर्च पेपर्स तुम्हारे प्रोफ़ेसर एक्स ने लिखे हैं. हमारे बादशाह अकबर और अनारकली के इश्क के चर्चे पिछले दस साल से सब की जुबान पर हैं लेकिन तुम्हारी जनरल नौलिज तो बहुत कमज़ोर लगती है. तुम बड़ी किस्मत वाले हो. अनारकली रोज़ तुम्हारा क्लास लेगी.’
मैंने पूछा – ‘पढ़ाती कैसा है?’
प्रोफ़ेसर वाई बोले – ‘अपने से पंद्रह सीनियर्स को सुपरसीड करके कम्बख्त प्रोफ़ेसर बनी है. पर जब इसका क्लास पढोगे तो नया तो क्या सीखोगे, अपना पुराना ज्ञान भी भूल जाओगे.’
मैंने पूछा –‘महारानी जोधा बाई बादशाह अकबर से अनारकली को लेकर कोई ऐतराज़ नहीं जतातीं?’
प्रोफ़ेसर वाई ने जवाब दिया – ‘वो बेचारी ऐतराज़ क्या जताएंगी आजकल तो बादशाह अकबर अनारकली की जगह उनको ही दीवार में चुनवाने की फिराक में रहते हैं.’
रिफ्रेशर कोर्स के दौरान हमलोगों को रोजाना मैडम जेड का बोरिंग, नोट्स लिखाने वाला लेक्चर सुनने की सजा दी जाती थी. क्लास में और क्लास से बाहर भी हमको डांटने-फटकारने और धमकाने का कोई भी मौका अनारकली मैडम हाथ से जाने नहीं देती थीं. उनसे पिटते-पिटते हम लोगों के सब्र का बाँध जब टूट गया तो उनकी शिकायत लेकर उनके बादशाह के पास पहुंचे. बादशाह अकबर ने अपनी अनारकली की ज्यादतियों के लिए हमसे माफ़ी मांगी, हमको आइसक्रीम खिलाई पर साथ ही साथ यह इशारा भी कर दिया कि हमको उनकी अनारकली की ज्यादतियों को कोर्स ख़त्म होने तक बर्दाश्त करना ही होगा. मैडम जेड उर्फ़ अनारकली के ज़ुल्मो-सितम के सामने घुटने टेकने के सिवा हमारे पास और चारा भी क्या था.
मैंने प्रोफ़ेसर वाई से इस मॉडर्न अनारकली को हम सब के रास्ते से हटाने के बारे में पूछा –
‘सर ! जनता की बेहद मांग पर क्या बादशाह अकबर को मजबूर नहीं किया जा सकता कि वो अनारकली को दीवार में चुनवाने का हुक्म फिर से सुना दे?’
प्रोफ़ेसर वाई ने मुझे समझाया – ‘अब बादशाह अकबर पूरी तरह से अनारकली के शिकंजे में है. अनारकली ने अपने खुद के आधा दर्जन सलीम पाल रक्खे हैं पर बादशाह अकबर अनारकली का कुछ भी बिगड़ नहीं पा रहे हैं.’
मैंने नाराजगी और हैरत जताते हुए कहा – ‘डीन और वाइस चांसलर कुछ एक्शन क्यों नहीं लेते? क्या उन्हें ये अंधेर दिखाई नहीं देता?’
जवाब मिला –‘डीन और वाइस चांसलर को ये अंधेर दिखाई तो देता है पर उन बेचारों को कोई भी एक्शन लेने की फुर्सत ही कहाँ है? बाजी राव बने हमारे डीन अपनी मस्तानी के साथ इश्क फरमाने में और विश्वामित्र बने हमारे वाईस चांसलर अपनी मेनका के साथ प्रेम की पींगे लेने में मसरूफ हैं.’