सन चौबिस का जंजाल गया,
हाथापाई का साल गया,
धक्कामुक्की का साल गया,
दोषारोपण का साल गया.
रोहित सा कोई फ़ेल न हो,
निर्दोषों को फिर जेल न हो,
रेवड़ी बाँट का खेल न हो,
दल-बदलू रेलमपेल न हो.
चहुँदिस गुकेश का मान बढ़े,
हम्पी की हर कोई चाल पढ़े,
बुमरा की बॉलिंग शीर्ष चढ़े,
नित दीप्तिमान इतिहास गढ़े.
अब महंगाई का राज न हो ,
फ़िरको में बंटा समाज न हो,
रिश्वत से कोई काज न हो,
संस्तुति का भ्रष्ट रिवाज न हो.
अनपढ़ को विद्या भा जाए,
इंसाफ़ दलित भी पा जाए,
सुख-शांति देश में छा जाए,
अब राम-राज्य फिर आ जाए.