बुधवार, 27 मार्च 2013

अधखाए बैल की सद्गति


अफ़सर टोला के रस्ते में, बीच सड़क पर ,
अधखाया इक बैल पड़ा था ।
जनसमूह उसको घेरे था ।
हमने पूछा- 'क्या किस्सा है ?'
उत्तर पाया- 'रात इसे इक बाघ खा गया ।।'

बहुत देर तक बाघों की जब चर्चा हो ली ,
तब हमने यह प्रश्न उठाया-
'अब इसका क्या किया जाएगा ?'
एक सयाना झट से बोला-
'नगरपालिका वाला ठेला, आकर इसको ले जाएगा ।।'

किंतु पालिका के बाबू ने हमें बताया-
'अफ़सर टोला का रस्ता तो, शहरी सीमा के बाहर है ।'
वापस लौटे, ग्राम सभापति को जा घेरा ,
ग्राम सभापति चीख उठे- 'क्या मुझसे नाता ?
अगर सड़कपति होता, तो मैं बैल हटाता ।।'

सोचा, स्वास्थ्य विभाग, हमारा काम करेगा ,
गलत जगह आ गए, न ये इल्ज़मा धरेगा ।
स्वास्थ्य विभाग नरेश, बड़े ही दयावान थे ,
पर नियमों के अनुपालन में सावधान थे ।
मरे बैल को उठवाने में , यूं तो वह बेहद आकुल थे ,
हत्या थी या आत्मघात, यह सत्य जानने को व्याकुल थे ।।

हर अफ़सर का जाकर हमने दर खटकाया ,
सभी जगह से, किंतु टके सा उत्तर पाया ।
जीपारूढ़ सैकड़ों  अफ़सर, रस्ते पर आते-जाते थे ,
किंतु शांत-दुर्गंध छोड़ता, बैल जहां का तहां पड़ा था ।


रूंधे गले से हमने अपना, नेता जी को हाल सुनाया ,
नेता बोले-' जन सेवा तो पुण्य कार्य है ,
किंतु इलैक्शन बीत गया है ,
अब तो अगले ही चुनाव में बैल हटेगा ।।'

बातों में कुछ ने टरकाया और कहीं पर धक्का खाया ,
इसी तरह से हफ़्तों ग़ुज़रे, बैल हटाने कोई न आया ।
किंतु चील कौओं ने अपना काम किया है ,
जन सेवा के बदले  कुछ ना, दाम लिया है ।
अब न गंध है, अब न रक्त है ,
चंद अस्थियाँ  मात्र शेष हैं ।
बैल कांड से मुक्ति मिली है ,
मिटे हमारे सभी क्लेश हैं ।।

नभ से आकर धरती की कर रहे सफ़ाई  ,
पेंडिंग युग में  तुम ही तत्पर पड़े दिखाई ।
इस विपदा से तुमने आकर मुक्ति दिलाई ,
धन्य-धन्य हे गिद्ध, चील, कौए, सुखदाई ।।

बाबू झिड़की, अफ़सर घुड़की,
नेता के वादे, भूलेंगे ।
पर नभचारी, बैल भक्षियों ,
तुमको कभी नहीं भूलेंगे, तुमको कभी नहीं भूलेंगे ।।

4 टिप्‍पणियां:

  1. bahut khoob Gopesh babu, बाबू झिड़की, अफ़सर घुड़की,
    नेता के वादे, भूलेंगे ।
    पर नभचारी, बैल भक्षियों ,
    तुमको कभी नहीं भूलेंगे, तुमको कभी नहीं भूलेंगे ।।saparivar holi ki hardik subhkamnayen (a.k singh,geogr,alm,ssj urf aziz...)

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद।-आपको-सपरिवार-होली-की-शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  3. Namaste Uncle, I am really enjoying your writing. Please keep sharing.

    Regards,
    Anubha

    जवाब देंहटाएं
  4. पर सर चिंता का विषय तो यह है कि अब ऐसे चील,कौए अब हमारे बीच मुश्किल से नज़र आते हैं।

    .....सत्य और सटीक रचना आदरणीय सर।
    सादर प्रणाम 🙏

    जवाब देंहटाएं