मंगलवार, 6 जुलाई 2021

चंद गुस्ताख़ हाइकू


संसद का मानसून सत्र -
संसद सत्र
चले या न भी चले
फ़रेब चले
2. स्टेन स्वामी -
चौरासी पार
बड़ा खतरनाक
जेल में मरा
3. पेट्रोल और डीज़ल –
प्रजा के आंसू
बहते हों तो बहें
दाम बढ़ाओ
4. माल्या के या चौकसी के पलायन पर चौकीदार की सफ़ाई -
मैं तो जागा था
चोर दरवाज़े से
निकल गया
5. बंगाल-चुनाव से पहले और उसके बाद -
दल-बदल
तब पुण्य-कर्म था
अब पाप है
6. बैरी बदरवा -
बादल छाए
नेताओं से गरजे
बरसे नहीं

18 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद मीना जी!
      वैसे ये हाइकू नहीं, ये तो - 'हाय-हाय कू' हैं.

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (०७-०७-२०२१) को
    'तुम आयीं' (चर्चा अंक- ४११८)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. 'तुम आईं' (चर्चा अंक - 4118) में मेरे हाइकू सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद अनीता.

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  3. सदाबहार व्यंग, कटाक्ष का सम्मिश्रण, शानदार हाइकू ।

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    1. मेरी इस नई कोशिश की प्रशंसा के लिए धन्यवाद जिज्ञासा.

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  4. बहुत सुंदर हायकु, गोपेश भाई।

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद विकास नैनवाल 'अंजान' !

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  6. वाह जबरदस्त, तीखे और जरुरी कटाक्ष...।

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद संदीप कुमार शर्मा जी.

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  7. अद्भुत विचार शक्ति।
    सादर।

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    1. प्रशंसा के लिए मन की वीणा को धन्यवाद !
      मेरे ब्लॉग पर की गयी टिप्पणी में भी अगर कोई हाइकू आ जाता तो आनंद आ जाता.

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  8. आप ऐसी गुस्ताखियाँ करते रहिए।
    "कबहुँ तो दीनदयाल के, भनक परेगी कान ।"
    ना भी परेगी तो हमें हँसने के मौके तो मिलते रहेंगे।

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद मीना जी!
      मैं आपको हंसने के और मौक़े देने की पूरी कोशिश करूंगा.
      रही दीनदयाल के कान तक हमारी व्यथा की भनक पहुँचने की तो जयशंकर प्रसाद उसके लिए कह चुके हैं -
      मुख-कमल समीप सजे थे, दो किसलय-दल पुरइन के,
      जल-बिंदु सदृश कब ठहरे, इन कानों में दुःख किन के.

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