गुरुवार, 3 नवंबर 2022

आज खुश तो बहुत होगे तुम

 'आज खुश तो बहुत होगे तुम'

लोगबाग इस डायलॉग को न जाने क्यों फ़िल्म 'दीवार' के नायक विजय से जोड़ते हैं जब कि हक़ीक़त यह है कि यह डायलॉग मैंने बोला था लेकिन भगवान से नहीं, बल्कि अपने बड़े भाई साहब श्री कमलकांत जैसवाल से और अपने मित्र प्रोफ़ेसर हितेंद्र पटेल से.

मैंने इन दोनों से यह डायलॉग कब और क्यूं बोला था, इसकी कथा जानना बड़ा ज़रूरी है.

हुआ यह कि कोई विराट कोहली है जो कि हम सबकी आँख का तारा हुआ करता था और हमें सचिन तेंदुलकर से भी ज़्यादा प्यारा हुआ करता था.

वो बल्लेबाज़ी में आए दिन रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड तोड़ रहा था और भारतीय क्रिकेट के कप्तान के रूप में भी सफलता के नए कीर्तिमान बना रहा था कि अचानक ही उसकी सफलता को ग्रहण लग गया.

उसके बल्ले ने सेंचुरी बनाना बंद कर दिया और फिर टेस्ट मैच, वन डे इंटरनेशनल और टी-ट्वेंटी में उसका बल्लेबाज़ी का औसत गोता खाने लगा.

हमने बहुत सब्र किया पर हमारा सब्र, हमारा धीरज और कोहली के प्रति हमारा प्यार, उसके बल्लेबाज़ी के औसत की तरह गोता खाने लगा.

हमको लगता है कि हमारी ही डिमांड पर ही उसे कप्तानी से हटाया गया.

कप्तानी से हटने के बाद भी कोहली का बल्ला उस से रूठा रहा.

पिछले साल से हमने यह मांग उठानी शुरू की कि कोहली को भारतीय क्रिकेट टीम से निकाल दिया जाए.

कोहली के समर्थन में हमारे बड़े भाई साहब श्री कमलकांत जैसवाल और हमारे मित्र प्रोफ़ेसर हितेंद्र पटेल आ गए और हमको लगता है कि इन दोनों की ही सिफ़ारिश पर ही कोहली को बल्लेबाज़ी में गोताखोरी के तमाम रिकॉर्ड्स बनाते रहने के बावजूद टीम में रक्खा जाता रहा.

फिर इस साल का एशिया कप आया जिसमें हम बुरी तरह हारे पर इस टूर्नामेंट में एक अच्छी बात यह हुई कि कोहली अपने पुराने फॉर्म पर वापस आ गया. अफ़गानिस्तान के खिलाफ़ जब उसने नाबाद शतक जड़ा तो उसके परम विरोधी जनाब गोपेश मोहन जैसवाल ने तालियाँ बजाते-बजाते अपनी हथेलियाँ सुजा लीं. लेकिन उनके कष्ट का अभी अंत नहीं हुआ था. उनके बड़े भाई साहब बार-बार उन्हें फ़ोन कर के पूछते रहे -

'विराट कोहली को तुम टीम से कब निकाल रहे हो?'

और अब आया है टी-ट्वेंटी वर्ड कप. इस टूर्नामेंट में कोहली ने हमारे चिर-प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के विरुद्ध मैच में जिस तरह से भारत को जीत दिलाई है, उसका तो ऐतिहासिक महत्व हो गया है.

हमारे भाई साहब की और हमारे मित्र की, तो बल्ले-बल्ले हो गयी पर हम परेशान हो गए कि हम किस बिल में जा कर छुपें.

कल बांग्लादेश के विरुद्ध फिर कोहली का बल्ला चमका.

इस टूर्नामेंट में कोहली तो आउट होना ही भूल गया है.

साउथ अफ्रीका के विरुद्ध 12 रन पर आउट होने के अलावा इसने बाक़ी तीनों मैचों में नाबाद पचासे जड़े हैं और वर्ड कप में सबसे ज़्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है.

कोहली के बारे में हमने जो भी कहा था उस से हम निहायत शर्मिंदा हैं और यह सोच-सोच कर परेशान हैं कि हम उसके प्रशंसकों को कैसे अपना मुंह दिखाएं.

फिर हमने इस नितांत मौलिक डायलॉग का सहारा लिया जिसे बहुत पहले सलीम-जावेद ने फ़िल्म 'दीवार' के लिए चुरा लिया था.

तो एक बार फिर से -

'भाई श्री कमल कांत जैसवाल और मित्र हितेंद्र पटेल ! आज खुश तो बहुत होगे तुम ! चलो हमने अपनी हार मान ली ! विराट कोहली जीता, तुम लोग भी जीते !'

पर अपनी करारी हार के बावजूद हम इतने खुश क्यूं हैं, हम यह क्यूं चाहते हैं कि कोहली अपने बल्ले से हमें और भी ज़्यादा नीचा दिखाए, हमको फिर से झूठा साबित करे?

और

फिर से कोहली समर्थकों से हमको यह कहना पड़े -

'आज खुश तो बहुत होगे तुम !'

आख़िर में एक बिलियन डॉलर वाला सवाल -

कोहली की मदद से पाकिस्तान को और बांग्लादेश को, भारत ने जीत ही लिया है तो क्या वृहत्तर भारत का हमारा सपना पूरा हो जाएगा?

16 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. मित्र, हम तो युवराज सिंह के एक ओवर में 6 छक्कों का भी रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं.
      बॉलर अगर नो बॉल करेगा तो हमको फ्री हिट मिलेगा और फिर हम नो बॉल पर भी छक्का मार कर, एक ओवर में 7-8 छक्के तो लगा ही देंगे.
      हम भारत में पाकिस्तान, बांग्लादेश ही क्या, अफ़गानिस्तान और श्री लंका भी मिला देंगे.

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  2. उत्तर
    1. मेरी शिकस्त की तारीफ़ के लिए शुक्रिया अनिता जी.

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  3. क्रिकेट का ए बी सी डी कुछ भी न समझते हुए भी आपकी पोस्ट पूरी पढ़ ली!! बढ़िया!!

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    1. मेरी पोस्ट की तारीफ़ के लिए शुक्रिया ज्योति !
      भारत में क्रिकेट का बुखार तो महिलाओं पर भी चढ़ने लगा है.
      देर-सवेर तुम भी क्रिकेट की दीवानी हो जाओगी.

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  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शुक्रवार(०४-११-२०२२ ) को 'चोटियों पर बर्फ की चादर'(चर्चा अंक -४६०२) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. 'चोटियों पर बर्फ़ की चादर' (चर्चा अंक - 4602) में मेरी व्यंग्य-रचना को सम्मिलत करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता.

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  5. वृहत्तर भारत का सपना यूँ क्रीकेट और हमारे प्रिय खिलाड़ियों के बूते होता तो शायद अभी तक पूर्ण हो गया होता ।
    हम खेल में ही जीतते रहें ये भी एक युद्ध ही है।
    कुछ टीमों के साथ खेलना।
    वैसे बहुत शानदार चिंतन है।

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    1. कुसुम जी, हमको मीठे सपने देखने से मत रोकिए !
      भले ही हम मधुमेह के रोगी हों पर मन के लड्डू फीके क्यों?

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  6. उत्तर
    1. 'वाह-वाह' के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार सिंह 'विवेक' जी.

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  7. 'आज खुश तो बहुत होगे तुम !' दिलचस्प और जिवंत लेखन, अभिनंदन आदरणीय।

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    1. मेरी व्यंग्यात्मक करुण कथा की प्रशंसा के लिए धन्यवाद शांतनु सान्याल जी.

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  8. एक वाक्य सौ निशाने । आपसे हर कोई हार जाएगा।
    खेल खेल में लंबा छक्का लगाना सबके बस का नहीं ।
    आपको मेरा नमन । आपको बधाई 👏👏😀😀

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    1. जिज्ञासा, बधाई का हक़दार तो विराट कोहली है और उसके समर्थक शाबाशी पाने के हक़दार हैं. हाँ, हम तारीफ़ के इसलिए हक़दार हैं कि हम अपनी किरकिरी होने पर भी खुश हैं, मगन हैं.
      अब हम 9 नवम्बर को सेमी फ़ाइनल में इंग्लैंड से भिड़ेंगे, उसे पीटेंगे और फिर 13 नवम्बर को फ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड को या पाकिस्तान को रौंदेंगे.
      कोहली का जन्मदिन 5 नवम्बर को था, उसने तब छोटा केक काटा था. कोहली चाहता है कि वर्ड कप जीत कर वह बड़ा केक काटे.
      मैंने भी 13 नवम्बर के लिए एक शुगर-फ़्री केक का आर्डर अभी से बुक कर दिया है.

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