रविवार, 20 मार्च 2016

कलम ! न तू, उनकी जय बोल

महाकवि दिनकर से क्षमा-याचना के साथ -
राज्यसभा के रत्न, उड़ चले, बिना चुकाए, ऋण-अनमोल,
कलम! न तू, उनकी  जय बोल.
देशभक्ति का जो प्रमाण दें, स्विस बैंकों में खाते खोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
बत-रस में जो सदा मिलावें, छल-प्रपंच का मीठा घोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
फांसी लटकें, लाख कृषक पर, कभी न होवें, डांवाडोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
‘काला धन, लाएंगे वापस’, खोल गए कह, अपनी पोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.
भारत माता, राम, गाय, को बेचें, बिना तराजू, तोल,
कलम! न तू, उनकी जय बोल.

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व गौरैया दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. ब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद हर्षवर्धनजी. आप विधिवत बुलाएंगे तो मैं ज़रूर आऊँगा.

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