16 जून की शाम को
मुज़फ्फ़रपुर में फैले चमकी बुखार के सम्बन्ध में हो
रही
एक ज़रूरी मीटिंग में स्वास्थ्य-मंत्री द्वारा उठाए गए दो अहम सवाल -
1. 'लेटेस्ट स्कोर क्या है?'
2. 'क्या रोहित शर्मा की
सेंचुरी हो गयी?'
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मुज़फ्फ़रपुर
में श्री शिवमंगल सुमन की अमर रचना – ‘वरदान मांगूगा नहीं’ के अंदाज़ में
मंत्री जी कुम्भकरणी उद्गार -
‘जब मृत्यु एक विराम है,
फिर क्यों मचा
कोहराम है?
क्या कोसना हमको
सदा,
इस मीडिया का
काम है?
वातानुकूलित
कक्ष का,
आराम सारा छोड़
कर,
साँसें बचाने
के लिए,
मैं आज
भागूंगा नहीं.
दम तोड़ दें
बच्चे सभी,
मैं आज जागूँगा
नहीं.’
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एक दमतोड़
स्पष्टीकरण -
‘देश प्रगति कर रहा, तुम्हें कुछ पता नहीं है,
यम ने बच्चे
चुने, हमारी ख़ता नहीं है.’
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महाकवि
दिनकर का बिहार –
श्वानों
को मिलता, दूध, वस्त्र,
भूखे
बच्चे, अकुलाते हैं.
चमकी
बुखार से ग्रस्त हुए तो,
बिन
इलाज, मर जाते हैं.
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (22 -06-2019) को "बिकती नहीं तमीज" (चर्चा अंक- 3374) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
'चर्चा अंक - 3374' में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद अनीता जी.
जवाब देंहटाएंअंतर्मन में उमड़ता क्रोध ,बेबसी और संताप स्पष्ट दिख रहा हैं ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंनमस्कार कामिनी जी,
हटाएंअब भी हम अपने संताप और बेबसी को छोड़, अपने क्रोध को क्रान्ति में विकसित नहीं करेंगे तो कब करेंगे?
संवेदनशीलता ख़त्म हो रही है ... इंसान मशीन बन के रहना चाहता है .... अपने से आगे सोचना गुनाह ...
जवाब देंहटाएंक्या होने वला है समाज का ...
मित्र ! 'जय श्री राम' का नारा लगा कर नेताओं और धर्म के ठेकेदारों के दिन तो फिर रहे हैं लेकिन आम राम-भक्त, हनुमान भक्त तो कभी भूख से, कभी बिना इलाज के तो कभी लाठी-बन्दूक धारियों की कृपा से मारे ही जा रहे हैं. आगे के लिए तैयार रहिएगा, हमारे समाज को तो इस से भी बुरे दिन देखने हैं.
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