अन्धविश्वास हमारे जीवन में कुछ इस तरह रचा-बसा है कि हम उसके बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते.
रविवार, 3 सितंबर 2023
विश्वगुरु भारत
रविवार, 27 अगस्त 2023
हम देखेंगे
फैज़ अहमद फैज़ की अमर रचना –
मंगलवार, 22 अगस्त 2023
ये है ग्रेटर नॉएडा मेरी जान
फ़िल्म ‘सीआईडी’ का मशहूर गाना – ‘ज़रा हट के, ज़रा बच के, ये है बॉम्बे मेरी जान –‘ दरअसल हमारे ग्रेटर नॉएडा के शरीफ़ वाहन-चालकों के लिए और निरीह पैदल चलने वालों के लिए कुछ इस तरह से लिखा गया था –
मंगलवार, 11 जुलाई 2023
ये मीना कुमारियाँ
हमारे एक खानदानी भाई साहब बड़े रंगीले हुआ करते थे.
किशोरावस्था
में और जवानी के दिनों में रंगीले भाई साहब का यह मजनूँपना उनके लिए कई बार घातक
सिद्ध हुआ था. इसके लिए उन्हें अक्सर थाने में हाज़री लगानी पड़ती थी तो कभी अपनी
डेंटिंग-पेंटिंग के लिए अस्पताल के चक्कर भी लगाने पड़ते थे. लेकिन बाद में अपने
ऐसे साहसिक अभियानों में चोटें और ठोकरें खाते-खाते वो इतने एक्सपर्ट और इतने घाघ
हो गए थे कि उनको अब न तो किसी भी तरह का
नुक्सान
उठाना पड़ता था और न ही किसी को किसी भी तरह का कोई खामियाज़ा देना पड़ता था.
सयाना होने
के बाद हमारी मजनूँ भाई साहब अब अपनी लैलाओं का चयन बड़ी दानिशमंदी से करने लगे थे.
बड़े जुगाड़
के बाद भाई साहब ने अपना कैरियर सचिवालय में लोअर डिवीज़न क्लर्क से किया था.
नियुक्ति
के तुरंत बाद उन्होंने अपनी अधेड़ बॉस, एक चिरकुमारी को अपने जाल में
फंसा लिया था.
अपनी बॉस
की आँखों में चढ़े और उनके दिल में बसे, उन से लगभग दस साल छोटे और उन से
तीन ओहदे नीचे वाले, हमारे रंगीले भाई साहब की तो लाटरी लग गयी.
ऑफ़िस में
नाम का काम करते हुए, अपनी बॉस के साथ थोक में आशिक़ी करते हुए और
रोज़ाना उनके हाथ का बनाया बादाम का हलवा खाते हुए, उन्होंने तीन साल में ही लोअर
डिवीज़न क्लर्क से अपर डिवीज़न क्लर्क का ओहदा हासिल कर लिया.
रंगीले भाई
साहब की एक और ऐसी ही मेहरबान अधेड़ लेडी-बॉस ने उन्हें आननफ़ानन में सेक्शन ऑफ़िसर
बनवा दिया.
आउट ऑफ़
टर्न विभागीय पदोन्नति दिलवाने के अलावा भाई साहब की ये वरिष्ठ मह्बूबाएं उन्हें
कभी डिनर पर ले जातीं तो कभी उन्हें सिनेमा हॉल की बालकनी की कार्नर वाली सीट्स
बुक करवा कर फ़िल्म दिखातीं तो कभी बेशकीमती उपहारों से उनका घर भर देतीं.
भाई साहब
कहा करते थे –
मछली अपने
तेल से, पके तभी रंग लाय,
फ़िल्म
दिखाए, डिनर दे, वही प्रिया मन भाय.
हमारे भाई
साहब के ऐसी वरिष्ठ किन्तु महा-उपयोगी प्रेमिकाओं के चयन पर जब उनके मित्रगण उन पर
लानत भेजते थे तो वो बेशर्मी के साथ मुस्कुराते हुए उन्हें समझाते थे –
‘हर धर्मेन्द्र को स्टार बनने के लिए किसी न
किसी मीना कुमारी की ज़रुरत तो पड़ती ही है.’
सचिवालय
में सेक्शन ऑफ़िसर के पद पर नियुक्त हो जाने के बाद उनके पिता श्री यानी कि हमारे
बाबा ने एक सुकन्या से उनकी शादी करवा दी.
इन भाई
साहब वाली हमारी भाभी जी सुन्दर थीं लेकिन आत्मोत्थान हेतु चाचा जी का भंवरत्व
पूर्ववत बरक़रार था.
हाँ, वो यह
सावधानी ज़रूर बरतते थे कि भाभी जी तक उनके इस हरजाईपन की ख़बर न पहुंचे.
वरिष्ठ
प्रेमिकाओं के दूरदर्शितापूर्ण चयन की कृपा से भाई साहब की विभागीय पदोन्नतियां
आउट ऑफ़ टर्न जारी रहीं और जल्द ही वो प्रदेश सरकार में डिप्टी सेक्रेटरी के ओहदे
तक पहुँच गए.
शादी के
बीस साल हो गए थे.
भाई साहब
अब तक दो प्यारे से टीन एजर बेटों के पिता बन गए थे. लेकिन इस बीस साल के ज़ालिम
वक़्त में उनका धर्मेन्द्र वाला पुराना चार्म जा चुका था.
रंगीले भाई
साहब का चेहरा अब बेरंग हो चला था अब उनकी काया पर भी उम्र का असर होने लगा था, अब वो
हल्की सी तोंद के मालिक भी बन चुके थे, उनकी लहराती हुई ज़ुल्फें अब
इतिहास बन चुकी थीं और उनकी आँखों पर अब प्लस 4 का चश्मा लग चुका था.
अब कोई
दुधारू मीना कुमारी उनकी लुटी-पिटी पर्सनैलिटी देख कर उनके प्रेम-जाल में फंस कर
उन पर मेहरबानियाँ लुटाने वाली नहीं थी.
अब एक करोड़
वाला सवाल यह था कि हमारे भाई साहब कोई कल्पवृक्ष जैसी मछली अपने जाल में कैसे
फसाएँ?
हमारे चतुर
भाई साहब ने अब ख़ुद के बजाय अपने बच्चों को चारा बना कर मछली फसाने की दूरदर्शी
योजना प्रारंभ की.
भाई साहब
के बंगले के निकट कन्या महा-विद्यालय की प्राचार्या का बंगला था.
हमारे भाई
साहब की हम उम्र ये प्राचार्या महोदया तलाक़शुदा थीं और उनके कोई संतान नहीं थी.
कहा जाता था कि संतानहीन होने की वजह से ही उनका और उनके पति का रिश्ता टूट गया
था.
ये
प्राचार्या महोदया अपने अड़ौस-पड़ौस के बच्चों को बेहद प्यार करती थीं. अगर बच्चे
क्रिकेट खेलते तो वो भी उनके साथ बैटिंग-बॉलिंग करने पहुंच जातीं और फिर बच्चों को
पूरी क्रिकेट किट गिफ्ट में दे डालतीं.
अगर बच्चे बैडमिंटन खेल रहे होते तो उनके अनुरोध पर वो भी अपना रैकेट चलाने
पहुँच जातीं और फिर इन आंटी की कृपा से बच्चों को पूरे एक महीने तक शटल कॉक्स
खरीदने की ज़रुरत नहीं पड़ा करती थी.
हमारे भाई
साहब का तेरह साल का छोटा बेटा इन आंटी को बेहद प्यारा लगता था.
हमारे
दूरदर्शी भाई साहब ने अपने इस बेटे को अपनी नई आंटी के घर सुबह-शाम हाज़री लगाने के
लिए भेजना शुरू कर दिया.
कुछ दिनों
बाद यह हालत हो गयी कि आंटी और उनके इस भतीजे की दोस्ती जय-बीरू की दोस्ती से भी
आगे निकल गयी.
दरियादिल
आंटी की जब एक बेटे से दोस्ती हुई तो उनका बड़ा बेटा भी आंटी से दोस्ती करने में
क्यों पीछे रहता?
कुछ दिनों
बाद हमारे भाई साहब के दोनों बेटों के सारे शौक़, उनकी सारी फ़रमाइशें, ये
कल्पवृक्ष आंटी पूरा करने लगीं.
अपने
बच्चों के बहाने हमारे भाई साहब की भी उस घर में एंट्री हो गयी.
हमारी भाभी
जी अपने बेटों पर इस नई आंटी के बढ़ते हुए अधिकार से और अपने पति से उनकी बढ़ती हुई
दोस्ती से, पहले तो त्रस्त थीं लेकिन बाद में उनके समझ
में आ गया कि सिर्फ़ अपने बच्चों के प्यार में हिस्सेदारी करने वाली इस एटीएम आंटी
से रिश्ता बनाए रखने में फ़ायदा ही फ़ायदा है और रही अपने पति से उस से दोस्ती की
बात तो वो यह अच्छी तरह से जानती थीं कि जिस राख के ढेर में न तो शोला बचा था और न
ही चिंगारी, वह तो सिर्फ़ बर्तन मांजने के काम आ सकती
थी.
भाई साहब
के ज़ालिम दोस्तों ने अब चाचा जी को धर्मेन्द्र की जगह कमाल अमरोही कहना शुरू कर
दिया जिसने कि अपने बेटों के ज़रिए इस नई मीना कुमारी के दिल पर और उसकी तिजोरी पर
क़ब्ज़ा कर लिया था.
हमारे भाई
साहब बेशर्मी से ऐसी बातों को एक कान से सुन कर उन्हें दूसरे कान से उड़ा देते थे.
अब तो भाई
साहब बस, इसी आस में जी रहे थे कि कब ये मेहरबान आंटी, ये नई
मीना कुमारी, उनके दोनों बेटों को अपना वारिस बना कर ये
दुनिया छोड़ेगी.
हमारे भाई
साहब की ज़िंदगी में ये मेहरबान मीना कुमारियाँ न होतीं तो वो अब तक अपर डिवीज़न
क्लर्क के मामूली ओहदे से रिटायर हो चुके होते. लेकिन वो एक आला अफ़सर बन कर रिटायर
हुए हैं, उनका अपना शानदार बंगला है, उनका अपना
मोटा बैंक बैलेंस है और उनके बेटों की हायर एजुकेशन का पूरा ख़र्चा इस मेहरबान मीना
कुमारी आंटी ने उठा कर उन्हें मल्टीनेशनल कंपनीज़ में ऊंचे-ऊंचे ओहदों पर तैनात
करने में मुख्य भूमिका निभाई है.
कहा जाता
है कि भगवान जी ही किसी की किस्मत बिगाड़ते या संवारते हैं लेकिन हमारे इन भाई साहब
की किस्मत संवारने में तो कई मीना कुमारियों का ही रोल रहा है और भगवान जी बेचारे
तो सिर्फ़ तमाशाई का रोल ही निभा पाए हैं.